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Tuesday 4 March 2014

जिनकी डिग्री मान्य नहीं उन्हें भी दे दी नौकरी


** आरटीआई में खुलासा, वीसी दरबार पहुंची शिकायत
** आरटीआई से जुटाए दस्तावेजों से हुए कई खुलासे 
** शिक्षक ने किए सभी आरोप खारिज 
कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी शिक्षक नियुक्ति पर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से कई सवाल खड़े हो गए हैं, जिनका जवाब केयू प्रशासन के लिए भी दे पाना बेहद मुश्किल है। आरटीआई से पैदा हुए तीन बेहद अहम सवाल हैं जो केयू के यूआईईटी संस्थान में शिक्षक भर्ती मामले पर खड़े हो रहे हैं। 
सबसे पहला सवाल है कि खुद केयू प्रशासन ने जिस डिग्री को समकक्ष न माना हो, उस आवेदक को नौकरी कैसे दी गई? दूसरा सवाल है कि शिक्षक जहां पर कार्यरत था, वहां से रिलीव हुए बिना नौकरी कैसे दी गई? तीसरा आरोप है कि शिक्षक को झूठे प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी क्यों दी गई? इन सवालों का जवाब पाने और इन सभी आरोपों की शिकायत केयू वीसी दरबार में भी पहुंच चुकी है। अब यह देखना है कि पूरे मामले में केयू प्रशासन क्या कार्रवाई करता है। 
यह है पूरा मामला : 
छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एबीवीपी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष कलसाना ने बताया कि केयू के यूआईईटी संस्थान में वर्ष 2007 में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर डॉ. सीसी त्रिपाठी की नियुक्ति हुई थी। जब उनकी नियुक्ति को लेकर आरटीआई में सूचना मांगी गई तो कई दिलचस्प खुलासे सामने आए। कलसाना ने बताया कि आवेदक ने अपनी एमटेक माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स बीट्स पिलानी से की हुई है। जब कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की स्थापना शाखा से उक्त संस्थान के उक्त कोर्स की जानकारी मांगी गई तो स्थापना शाखा ने साफ किया कि नियुक्ति के लिए इस संस्थान की डिग्री को समकक्ष नहीं माना जा सकता। 
कलसाना ने कहा कि जब उक्त आवेदक की डिग्री ही समकक्ष नहीं थी, तो नियुक्ति कैसे हुई। सवाल उठना लाजिमी है। उन्होंने कहा कि दूसरी बात यह है कि उक्त आवेदक ने खुद को हारट्रोन का कर्मचारी बताया है, लेकिन वे वहां से रिलीव कब हुए इसका कोई ब्यौरा ही नहीं है। इतना ही नहीं उनके आवेदन फार्म में भी एम्पलॉयर का कॉलम खाली पड़ा है। तीसरा सवाल यह है कि आवेदक ने हारट्रोन से पीएचडी के लिए छुट्टी ली थी। इस दौरान उन्होंने पीएचडी के साथ-साथ अंबाला कॉलेज मीठापुर में कांट्रेक्ट आधार पर शिक्षण कार्य किया। सुभाष कलसाना ने कहा कि छुट्टी पीएचडी करने के लिए ली गई थी, न कि कांट्रेक्ट आधार पर शिक्षण के लिए। यह छुट्टी देने वाले आदेश की आरटीआई से मिली कॉपी में साफतौर पर लिखा हुआ है। 
मामले की होगी पूरी जांच : 
केयू वीसी डॉ. डीडीएस संधू ने कहा कि उनके पास शिकायत पहुंची है। वे इस पूरे मामले की जांच कराएंगे। उन्होंने कहा कि मामले की जांच के बाद ही वे इस मामले में कुछ कह पाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। 
मेरे ऊपर लगे आरोप गलत:
यूआईईटी संस्थान में नियुक्त शिक्षक डॉ. सीसी त्रिपाठी ने कहा कि उन पर लगाए जा रहे सभी आरोप गलत हैं। उन्होंने कहा कि वे हारट्रोन से बिना वेतन के छुट्टी पर थे और उन्हें यह अधिकार था कि वे कांट्रेक्ट आधार पर शिक्षण कार्य कर सकते थे। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि जहां तक बात आवेदन फार्म में एम्पलॉयर के हस्ताक्षर न होने की है, तो वे उस समय लंबी छुट्टी पर थे। इसके चलते हस्ताक्षर नहीं कराए गए। केयू स्थापना शाखा से मांगी गई आरटीआई में उनकी बिट्स पिलानी से एमटेक को समकक्ष न मानने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में तो उनका चयन करने वाली कमेटी ही बता सकती है। 
नियमों को ताक पर रखना गलत :
सुभाष कलसाना ने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर नियुक्ति कैसे दी गई। यह पूरा मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है, जिसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में केयू प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो एबीवीपी आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी केयू प्रशासन की होगी। उन्होंने कहा कि केयू प्रशासन को इन सभी सवालों के जवाब देने चाहिए।                                  db

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