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Friday 14 March 2014

कैसे होगा गरीब बच्चों का स्कूलों में दाखिला


134 ए के तहत निजी स्कूलों में आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों का 25 प्रतिशत दाखिला कराने की योजना पूर्ण तय सफल होना फिलहाल संभव नहीं, क्योंकि योजना के तहत पंजीकरण कराने के लिए फार्म भरते समय आर्थिक रूप से कमजोर होने के प्रमाण पत्र या बीपीएल राशन कार्ड का नंबर डाला जाना अनिवार्य है, लेकिन जिले के संबंधित अधिकारियों को न तो प्रमाण पत्र बनाने की कार्यशैली की जानकारी है। यह फार्म जिले में कहीं उपलब्ध ही नहीं है। इसके बारे में अधिकारियों को भी जानकारी नहीं है। 
हरियाणा शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने का प्रावधान है। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की दस प्रतिशत सीट स्कूल में आरक्षित हैं। इस योजना का लाभ निजी स्कूल संचालक इन बच्चों को दे रहे हैं। जिले में इस प्रकार के 250 निजी स्कूल चयनित हैं। जिन स्कूलों में इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। इस बार यह स्कूल संचालक फार्म व बीपीएल कार्ड का नंबर मांग रहे हैं। खास बात यह है कि जिस फार्म की मांग निजी स्कूल संचालक कर रहे हैं, उस फार्म की जानकारी किसी अधिकारी को नहीं है। फार्म कहीं मिल भी रहा है। सचिवालय में घूम रहे परवेश कुमार, अशोक, रवि, परमानंद, करनैल सिंह, महेंद्र सिंह, धर्मवीर, कंवरपाल, ओम प्रकाश, गुरमेज सिंह, नरेंद्र कुमार का कहना है कि इनके बच्चे निजी स्कूल में शुरू से जा रहे हैं। अब उनके पास दो बच्चे हैं। दोनों को निजी स्कूलों में नहीं पढ़ा सकते। उनको सरकार की इस योजना के बारे में पता लगा था। इस योजना के तहत वह अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूल में कराना चाहते थे। पता लगते ही स्कूलों में गए। वहां जाकर पता लगा कि योजना का लाभ का लेने के लिए पहले बच्चे का नाम पंजीकृत कराओ, जिस समय बच्चे का नाम पंजीकृत कराने के लिए फार्म भरने लगे तो उसमे बीपीएल राशन कार्ड का नंबर या आर्थिक रूम से कमजोर होने का प्रमाण पत्र का नंबर मांगा गया। उनका बीपीएल राशन कार्ड न होने के कारण, आर्थिक रूप से कमजोर होने के प्रमाण पत्र बनवाने का मन बनाया, लेकिन संबंधित कार्यालय में गए। यहां बैठे अधिकारियों ने कोई संतोषजनक जवाब। अधिकारियों ने कहा कि उनके पास कोई ऐसा पत्र नहीं आया। यहां तक प्रमाण पत्र के फार्म भी उपलब्ध नहीं है। जिन निजी स्कूल संचालकों ने सरकार से रियायती दरों पर भूमि लेकर स्कूल बनाए हुए हैं, उन स्कूलों में बीस प्रतिशत सीट आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा जिन स्कूल संचालकों ने सरकार से कोई रियायत नहीं ली है, उन स्कूलों में दस प्रतिशत सीट आरक्षित की गई हैं। जिले में 250 के करीब निजी स्कूल हैं।
इसके साथ ही सरकारी स्कूलों की बात की जाए तो उनमे 633 प्राइमरी स्कूल, 150 मीडिल स्कूल, 60 हाई स्कूल, 55 सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं। इन स्कूलों में 48 हजार के करीब विद्यार्थी पढ़ाई कर अपना भविष्य संवार रहे हैं। इसके बाद भी अधिकांश बच्चों की इच्छा होती है कि वह भी माडल स्कूलों में जाकर शिक्षा ग्रहण करे। उनका कम्यूनिकेशन स्किल अच्छा बने। वह भी फर्राटे दार अंग्रेजी में बात कर सकें। बच्चों की मार्डन स्कूलों में पढ़ने की इच्छा पूरी हो सके, इसके लिए सरकार ने निजी स्कूलों में उनके लिए सीट आरक्षित कर दी हैं। इस योजना का लाभ अधिकांश बच्चों को नहीं मिल रहा, जबकि निजी स्कूल संचालक खुद इस तरह की योजना होने से इनकार कर रहे हैं।                                      djymnr

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