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Friday 14 March 2014

बच्चोंं को मिल रहा अधूरा ज्ञान, शिक्षक कर रहे आराम

** डाइट की होने वाली रिपोर्ट से हुआ खुलासा
** लक्ष्य से भटक गई जेबीटी टीचर्स की ट्रेनिंग
रेवाड़ी : प्रशिक्षु शिक्षकों द्वारा कक्षाएं लेने के कारण कई विद्यालयों में सरकारी शिक्षक बच्चो को पढ़ाने की जगह आराम फरमाने लगे हैं। इसका खुलासा होने के बाद शिक्षा अधिकारी अब नए सिरे से रणनीति तैयार कर उचित कार्रवाई का रास्ता तलाश रहे हैं। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को पढ़ा रहे प्रशिक्षु शिक्षकों से मिली जानकारी व विद्यार्थियों की परीक्षाओं के आधार पर डाइट की तरफ से तैयार की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। 
अपने स्तर पर तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक विभाग के ही नियमों के विरुद्ध इंटर्नशिप पर लगे छात्र अध्यापक नियमित रूप से बच्चों को पढ़ा रहे हैं जबकि अध्यापक धूप सेंकने में लगे हैं। लिहाजा शिक्षण कौशल हासिल करने में जुटे अनट्रेंड शिक्षकों के ही पढ़ाने से विद्यार्थियों को भी अधूरा ही ज्ञान मिल पा रहा है। इससे जेबीटी टीचर्स की यह ट्रेनिंग पूरी तरह लक्ष्य से भटक रही है। 
अधिकारियों ने माना ऐसा हो रहा है 
"हां बहुत से अध्यापक ऐसा करते हैं, जांच के बाद कार्रवाई होगी, आगे से सख्ती बरती जाएगी।"--रामकुंवार फलसवाल, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, रेवाड़ी। 
सुधरने की बजाय ऐसे बिगड़ेगा शिक्षा का स्तर 
बच्चों को जो ज्ञान चाहिए वेा मिल नहीं पा रहा है। अनट्रेंड अध्यापक उतना बेहतर ज्ञान नियमित रूप से नहीं दे सकते जितना कि नियमित अध्यापक दे सकते हैं। रिपोर्ट में यह सामने आया है कि जहां प्रशिक्षु शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं वहां नियमित अध्यापक बजाय शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के आराम करने का का सुनहरा अवसर मानकर समय ज्यादा बर्बाद करते हैं। 
ये था नियम 
इन भावी अध्यापकों की ट्रेनिंग का यह नियम था कि विद्यालय के हेडमास्टर के नेतृत्व में विभिन्न कक्षाओं से कक्षा स्तर से कम ज्ञान वाले विद्यार्थियों का चयन किया जाए। इन विद्यार्थियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ट्रेनिंग पर आए जेबीटी टीचर्स द्वारा दी जानी थी। यानि शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए इन विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय इन भावी अध्यापकों द्वारा दिया जाना था, ताकि विद्यार्थियों का लेवल बेहतर बनाया जा सके। 
1250 भावी शिक्षक ले रहे ट्रेनिंग 
जिले में जेबीटी की ट्रेनिंग देने वाले 23 कॉलेज है। इसमें 22 निजी व एक डाइट है। प्रत्येक कॉलेज में 50 जेबीटी टीचर, यानि कुल 1250 युवा शिक्षक की ट्रेनिंग ले रहे हैं। 
गए थे सीखने, सिखाने में लगे 
जेबीटी टीचर्स को शिक्षण कार्य सिखाने के लिए विद्यालयों में भेजा जाता है। इसी के चलते 12वीं के बाद जेबीटी को 3 साल का कोर्स निर्धारित किया गया। इसके तहत 2 साल का डिप्लोमा तथा इसके बाद 1 साल के लिए सरकारी स्कूलों में इंटर्नशिप निर्धारित की गई थी, ताकि ये प्रशिक्षु शिक्षक नियमित अध्यापकों से शिक्षण कार्य का अनुभव लें सकें। इसमें ये कि किस प्रकार विद्यार्थियों को शिक्षा देनी चाहिए, बच्चे कक्षाओं में किस प्रकार का व्यवहार करते हैं, किस प्रकार कक्षाओं को नियंत्रित करें आदि की जानकारी इन भावी को व्यवहारिक रूप से मिल सके। जबकि हो यह रहा है कि विद्यालय में इन विद्यार्थियों को सीधे ही कक्षाएं सौंपी जा रही हैं।     db

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