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Wednesday 5 March 2014

हाईकोर्ट ने जेबीटी टीचरों को हटाने पर लगाई रोक

** डबल बेंच ने सुनवाई के लिए 4 अप्रैल निर्धारित की
** सरकार ने पक्ष रखने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा
चंडीगढ़ : वर्ष 2000 में नियुक्त किए गए 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) अध्यापकों में से 2985 को हटाने के एकल बेंच के फैसले पर मंगलवार को हाई कोर्ट की डबल बेंच ने 4 अप्रैल तक रोक लगा दी है।
मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने जस्टिस जसबीर सिंह पर आधारित खंडपीठ को बताया कि इस मामले में एडवोकेट जनरल से कानूनी राय ली जा रही है। इस पर निर्णय लेने में कुछ समय लग सकता है। सरकार ने पक्ष रखने के लिए कोर्ट से चार सप्ताह का समय मांगा है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रतिक्रिया दी थी की इन अध्यापकों को लगे हुए 14 साल के करीब हो गए है। अगर इनको सीधे तौर पद हटाया जाता है तो इनके परिवार प्रभावित होंगे। बेंच ने हरियाणा सरकार को कहा कि इस समस्या का समाधान निकाले।   
यह था फैसला
हाई कोर्ट की एकल बेंच ने 8 जनवरी को इस भर्ती को रद करते हुए नए सिरे से मेरिट लिस्ट बनाने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट के जस्टिस के कन्नन ने 30 पेज के आदेश में इन पदों पर भर्ती के लिए चार सप्ताह में नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करने का भी आदेश दिया था। 
3206 में से सिर्फ 221 शिक्षकों की नियुक्ति को ही सही करार दिया था। ज. कन्नन ने कहा था कि तत्कालीन चौटाला सरकार द्वारा 3206 जेबीटी शिक्षकों में से सिर्फ 221 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनका नाम दोनों मेरिट लिस्ट में है। बाकी उम्मीदवारों के नाम दूसरी सूची में सामने आये हैं। एकल बेंच ने यह भी साफ कर दिया था कि जिन 2985 शिक्षकों को हटाया जाएगा उन्हें उनका बकाया आठ सप्ताह के बीच जारी किया जाए। जो नई मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी उसमें अगर इन निकले गए उम्मीदवारों का नाम मेरिट में आता है तो उन्हें नियुक्त किया जाए और जिनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं आता उन्हें हटा दिया जाए और उनको हटाने के लिए नोटिस देने की भी जरूरत नही है, लेकिन उनसे कोई रिकवरी नहीं की जाएगी।                                                  dj

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