.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Sunday 9 March 2014

शिक्षा क्षेत्र में धांधली

अध्यापक पात्रता परीक्षा में व्यापक स्तर पर धांधली के प्रमाण पेश करते हुए मधुबन स्थित फोरेंसिक लैब ने जो रिपोर्ट पेश की , उससे समूची व्यवस्था और प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। आंकड़े चौंकाने वाले नहीं बल्कि शर्मसार करने वाले हैं। पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण हो कर नौकरी पाने वाले 8285 जेबीटी अध्यापकों में से केवल 1093 ही मापदंडों पर खरे उतरे शेष लगभग सात हजार अध्यापकों ने फर्जीवाड़े का सहारा लिया। आवेदन फार्म और उत्तर पुस्तिका में अंकित उनके अंगूठे के निशान में अंतर पाया गया। आधार ही खोखला, दीमकयुक्त हो तो मजबूत भवन की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। यह सीधे तौर पर शिक्षा विभाग और सरकार की साख पर करारा प्रहार है। सिस्टम में किसी स्तर पर शुचिता, पारदर्शिता नहीं रखी गई, इसके लिए किसे दोषी माना जाए? क्या फर्जीवाड़ा करने वाले अध्यापक ही कुसूरवार हैं? जिस व्यवस्था के तहत उन्होंने परीक्षा दी, उसमें परीक्षा नियंत्रक, केंद्र अधीक्षक या शिक्षा विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों को पाक साफ तो नहीं माना जा सकता। उनके खिलाफ कार्रवाई में सख्ती क्यों नहीं दिखाई गई? हालांकि आरंभिक स्तर पर जरूर कुछ पहल हुई पर उसका असर नहीं दिखाई दिया। स्थिति को न्यायिक और सामाजिक संदर्भो में देखने की जरूरत है। पात्रता परीक्षा के आधार पर नौकरी पाने वाले हजारों अध्यापकों पर अनिश्चितता की तलवार लटकी है, कोर्ट के आदेश से यदि वे बेरोजगार हुए तो सामाजिक परिवेश पर असर पड़ना निश्चित है। 1 मसले के समाधान के लिए क्या सरकार के पास कोई योजना है? दूसरा पहलू यह है कि फर्जीवाड़ा साबित होने के बाद इन अध्यापकों को नौकरी पर कैसे बने रहने दिया जा सकता है? सरकार के सामने वैसी ही धर्मसंकट की स्थिति पैदा हो सकती है जैसी गेस्ट टीचरों के मामले में हो चुकी। बार-बार ऐसी स्थिति न आए इसके लिए जरूरी है कि सरकार अपनी नीति, व्यवस्था और प्रक्रिया की पुन: समीक्षा करे, उसकी खामियों को तलाश करके निराकरण करे। सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार का हर फैसला जल्दबाजी में हुआ, विशेष तौर पर शिक्षा क्षेत्र में। कम से कम पांच अवसरों पर उसके फैसले अदालतों में नहीं टिक सके और अध्यापकों को सड़क पर आना पड़ा। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगना चाहिए। प्रदेश को जरूरत है मजबूत और स्थिर शिक्षा नीति की। तात्कालिक लाभ उठाने या प्रभाव दिखाने की कोशिशों पर लगाम लगनी चाहिए। पात्रता परीक्षा से लेकर नियुक्ति प्रक्रिया तक समूची व्यवस्था को चाक चौबंद किए बिना समस्या का समाधान संभव नहीं।                                           djeditrl

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.