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Sunday 3 May 2015

अध्यापकों की फांस बना एमआईएस सिस्टम

** समस्या : शिक्षा विभाग में बिजली के रहने इंटरनेट के काम करने से पैदा हुई समस्या 
जुलाना : शिक्षा विभाग का एमआईएस (मॉनीटरिंग इंफॉर्मेशन सिस्टम) अध्यापकों के गले की फांस बना हुआ है। बिजली इंटरनेट की पर्याप्त सुविधा होने के कारण बच्चों का पूरा बायोडाटा अपलोड नहीं हो रहा है। इससे अध्यापकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
सभी बच्चों का डाटा अपलोड करने के हैं आदेश 
प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का संपूर्ण डाटा मॉनीटरिंग इंफॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) में अपलोड करने के आदेश दिए हुए है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की पूरी जानकारी को अध्यापकों द्वारा एमआईएस सिस्टम पर अपलोड किया जाना है। लेकिन स्कूलों में पर्याप्त बिजली एवं इंटरनेट नहीं होने की वजह से बच्चों के संपूर्ण जानकारी को अपलोड नहीं हो रही है। इससे अध्यापकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ तो शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों की संपूर्ण शिक्षा पर अध्यापकों को पूरा ध्यान देना है जिससे बच्चे का बौद्धिक, मानसिक एवं शारीरिक विकास हो सके। 
तो क्लर्क, ही ऑपरेटर 
दूसरी तरफ अध्यापकों को इस तरह के कार्यों में उलझाया जा रहा है। जबकि एमआईएस सिस्टम का अपलोड करने का काम स्कूल के क्लर्क या डाटा इंट्री आॅपरेटर का होता है। बताया जा रहा है कि बहुत से स्कूलों में तो क्लर्क है और ही डाटा इंट्री आॅपरेटर। ऐसे में एमआईएस सिस्टम पर अपलोड का कार्य अध्यापकों की परेशानी का सबब बना हुआ है। 
डाटा आॅपरेटरों से पूरा करवाया जाए कार्य 
"विद्यालयों में कंपयूटर इंटरनेट के साथ साथ कंप्यूटर आॅपरेटर की भी भारी समस्या है जिसके कारण एमआईएस सिस्टम में बच्चों का डाटा अपलोड करना भारी समस्या बन गया है और अध्यापकों को इसके कारण भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि विभाग को चाहिए कि एमआईएस सिस्टम का कार्य पूरा करने के लिए शंकुल या ब्लाक स्तर पर डाटा आॅपरेटरों से यह कार्य पूरा करवाया जाएं ताकि शिक्षक बच्चों की शिक्षा के लिए पूरा समय दे सकें।"-- सतीशलाठर, जिला सह सचिव, विद्यालय अध्यापक संघ। 
बाजार से करे नेट का प्रयोग, मिलेगा खर्च
"जिस स्कूल में इंटरनेट की सुविधा नहीं है वे बाजार में स्थित कम्प्यूटर इंटरनेट सुविधायुक्त जगहों पर जाकर इस कार्य को पूरा करा सकते है। इस पर आने वाला खर्च अध्यापक स्कूल के फंड या एसएमसी कमेटी के सहयोग से पूरा कर सकते है।"-- आदर्श,खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी जुलाना।                                                          db

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