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Friday 15 November 2013

शिक्षकों का रोष


अध्यापक वर्ग का सरकार से रुष्ट होना वास्तव में चिंता का विषय है। चिंतनीय बात यह भी है कि तीन स्तरों पर अध्यापन करने वाले शिक्षक विभिन्न मांगों, विषयों पर बगावत का बिगुल बजा चुके। विश्वविद्यालय, कॉलेज और स्कूल प्राध्यापक, अध्यापक आर या पार की मुद्रा में आकर यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि समय रहते ठोस पहल न की गई तो हालात काबू से बाहर भी हो सकते हैं। बारहवीं कक्षा के प्रश्नपत्रों का मूल्यांकन कार्य शुरू नहीं हो पाया। शिक्षा विभाग ने स्कूल प्राध्यापकों का विकल्प तैयार करने के लिए समानांतर धड़ा खड़ा करने की कोशिश की जो परिपक्व व्यवस्था और चिंतन का परिचायक नहीं और न ही ऐसा प्रयास सकारात्मक कार्य संस्कृति का परिचय देता है। किसी लाइन को छोटा करने के लिए उसे काटना ही एकमात्र उपाय नहीं, उससे बड़ी लाइन भी खींची जा सकती है। शिक्षा विभाग को शायद दूसरा उपाय रुचिकर नहीं लग रहा। विभाग को इसमें भी दोहरी फजीहत ङोलनी पड़ी क्योंकि अतिथि अध्यापकों ने उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन के एवज में उसके किसी प्रलोभन को मानने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं नियमित करने की परोक्ष शर्त भी रख दी गई जिसे पूरी करना शिक्षा विभाग के वश में ही नहीं। यह भी संभव है कि अतिथि अध्यापकों की ओर से प्राध्यापकों के प्रति एकजुटता का भाव दिखाया जाए। अहम मुद्दा यह है कि अध्यापक वर्ग की मांगों को शिक्षा विभाग तवज्जो क्यों नहीं दे रहा? आरोप तो ये भी लग रहे हैं कि सरकार समस्या के स्थायी समाधान के बजाय फूट डालो और राज करो की नीति को तरजीह दे रही है। हर साल परीक्षा परिणाम कमजोर हो रहा है। शिक्षा विभाग के प्रयोगवाद का उल्टा असर होता देख परीक्षा को बोर्ड के नियंत्रण से मुक्त करने , कक्षाओं की संबद्धता, रेशनेलाइजेशन आदि जैसे कई फैसलों में यू-टर्न लेने की तैयारी की जा रही है। सरकार को ऐसी व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिसमें शिक्षण ढांचे में एकरूपता रहे और शिक्षक भी धड़ों में बंटे न दिखाई दें। राज्य में शिक्षा में प्रतिस्पर्धात्मक माहौल तैयार करने की नितांत आवश्यकता है, इसके लिए अध्यापक विद्यार्थियों को मानसिक रूप से तैयार करें। यह कार्य तभी संभव है जब अध्यापक कार्य परिस्थितियों से संतुष्ट हों। वर्तमान तेवर देख कर तो नहीं लगता कि वे निश्चिंतता महसूस कर रहे हैं। माहौल ऐसा बने कि अध्यापक केवल शिक्षण कार्य में ही पूर्ण रूप से समर्पित हों, हालात की विषमताएं उन्हें भटकाएं नहीं, विसंगतियां एकाग्रता भंग न करें।         dj

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