.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Friday 8 November 2013

सिलेबस बदला देख छात्रों के उड़े होश

** शिक्षा विभाग का कारनामा
** आठ माह बाद स्कूलों में पहुंचीं किताबें 
रेवाड़ी : सरकारी स्कूलों में पुरानी पुस्तकों से दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के पास गुरुवार को नई पुस्तकें पहुंची तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं रही। सत्र शुरू होने के आठ माह बाद पहुंची किताबों को जैसे ही विद्यार्थियों ने खोला तो सिलेबस बदला देखकर उनके होश उड़ गए। परेशान और हैरान शिक्षकों को कुछ नहीं सूझ रहा था कि वह क्या करें। एक अक्टूबर से दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू हो गई थी। एक महीना 10 दिन बीतने के बाद शिक्षकों के लिए नए सिरे से पढ़ाना आसान नहीं है। शिक्षकों की मानें तो बेहतर शिक्षा व माहौल के नाम पर हम सभी का मजाक बन गया है। छठीं व दसवीं का सिलेबस ज्यादा बदला हुआ है जबकि सातवीं आठवीं व नौवीं में कम परिवर्तन हुआ है। 
गुरुवार को जिले के अधिकांश स्कूलों में कक्षा छठीं के विद्यार्थियों के पास दूसरे सेमेस्टर का सिलेबस पहुंचा। अभी तक विद्यार्थी अपने सीनियर विद्यार्थियों की पुस्तक लेकर काम चला रहे थे। नई पुस्तक आने से विद्यार्थियों में खुशी थी तो शिक्षक राहत महसूस कर रहे थे। सिलेबस जब खोलकर देखा तो वह पूरी तरह से बदला हुआ था। शिक्षकों के मुताबिक पाठ्यक्रम का नाम पुराना था लेकिन अभ्यास का पाठ नए सिलेबस से लिया हुआ था। अगर सिलेबस ही बदलना था तो पहले से सूचित किया जाना था। 10 वीं के सिलेबस के कुछ पाठ्यक्रमों में भी फेरबदल किया हुआ है। 
इसलिए बेहतर नहीं हो पाया सरकारी स्कूलों का स्तर 
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ प्रांतीय उपप्रधान महावीर यादव, हजरस प्रधान आरपी सिंह दहिया, हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के भूपेंद्र यादव सहित ने कहा कि इसी वजह से सरकारी स्कूलों का स्तर बेहतर नहीं हो पाया। जब परीक्षा परिणाम खराब आता है तो शिक्षा अधिकारी शिक्षकों को दोषी ठहरा देते हैं जबकि लचर सिस्टम की वजह से स्थिति बिगड़ती है। इस बारे में एसोसिएशन शिक्षा अधिकारियों के सामने अपना विरोध जताएगी। 
30 हजार विद्यार्थी होंगे प्रभावित 
सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिले के 414 प्राथमिक और 99 मिडिल स्कूलों के मिलाकर करीब 30 हजार विद्यार्थियों को पहली से आठवीं कक्षा तक की किताबें मुफ्त दी जाती हैं। पहले तो इसके तहत सभी कक्षाओं की किताबें नहीं पहुंच पाईं हैं। अब बदले हुए सिलेबस ने विद्यार्थियों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। 
समस्या को दूर किया जाएगा : डीईईओ 
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी संगीता यादव ने कहा कि सिलेबस बदलने का कार्य उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। इसके बाद भी शिक्षकों व विद्यार्थियों को आने वाली समस्याओं को मिल बैठकर दूर कर लिया जाएगा।
ट्रांसपोर्टेशन के लिए स्कूल के पास बजट नहीं 
खंडस्तर पर जहां सहूलियत होती है वहीं गाड़ी पहुंचाई जा रही हैं। वहां से स्कूल मुखिया को फोन कर अपने स्कूल की किताबें उठाने को कहा जाता है। ऐसे में स्कूल मुखिया अपने स्तर पर इन किताबों को उठाने और विद्यार्थियों में वितरित कराने तक एक बार में कम से कम 300 से 700 रुपए तक खर्च पड़ रहा है। स्कूल में ऐसा कोई बजट नहीं है कि इसका भुगतान वे कर सकें। 
शिक्षकों-छात्रों की चुनौतियां 
दूसरों सेमेस्टर नियमानुसार मार्च के पहले सप्ताह में पूरा किया जाना है। इस दौरान जनवरी में 10 से 15 दिन की सर्दियों की छुट्टियां भी पड़ेगी। दूसरा सेमेस्टर पहले ही एक माह देरी से शुरू हुआ है। इस स्थिति में अगर शिक्षक नए पाठ्यक्रम से दुबारा से पढ़ाई कराते हैं तो उस सिलेबस को सलीके से पूरा करना आसान नहीं है। इसी तरह विद्यार्थियों को भी नए सिरे से दूसरे सेमेस्टर की तैयारियां करनी पड़ेगी।       db

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.