** कोर्ट ने कहा कि इस तरह के काम की जिम्मेदारी हेडमास्टरों और शिक्षकों पर है और इसका पढ़ाई से कोई ताल्लुक नहीं है
बांबे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि वह मिड डे मील की जिम्मेदारी शिक्षकों पर न डाले। कोर्ट ने कहा है कि यह गैर शैक्षणिक कार्य है।
जस्टिस अभय अकोला की बेंच ने कहा है कि इस तरह गैर शैक्षणिक कार्यों की जिम्मेदारी शिक्षकों पर देने से शिक्षा कानून की धारा 27 का उल्लंघन होता है। धारा 27 में कहा गया है कि किसी भी शिक्षक को दस साल में होने वाली जनगणना, आपदा राहत और स्थानीय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव से संबंधित कार्यों के अलावा किसी गैर शैक्षणिक कार्य के लिए तैनात नहीं किया जाएगा।
हाई कोर्ट ने यह फैसला महिला संगठनों की एक याचिका पर दिया। ये संगठन मिड डे मील स्कीम को लागू करने के संबंध में सरकार के दो प्रस्तावों का विरोध कर रहे थे। याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार की ओर से जारी 22 जुलाई, 2013 के निर्देशों का जिक्र किया, जिनमें कहा गया था कि शहरी क्षेत्र में खाना बनाने में साफ -सफाई सुनिश्चित करने के लिए हेडमास्टर या वरिष्ठ शिक्षक महीने में एक बार केंद्रीय रसोई का दौरा करेंगे। स्कीम के तहत शहरी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को दिए जाने वाले भोजन की जांच की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर है। au
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