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Thursday 20 March 2014

एससी छात्रों से भी फीस वसूल रहे कॉलेज

** प्रदेशभर में 7 स्टेट यूनिवर्सिटी हैं, वहीं 88 सरकारी व 96 एडिड कॉलेज 
** महानिदेशक उच्चतर शिक्षा के हिदायत पत्र से खुलासा 
रेवाड़ी : सरकारी आदेशों में भले प्रदेश के एससी कैटेगरी के विद्यार्थी कॉलेज में फ्री दाखिला लेकर पढ़ाई कर रहे हों, मगर हकीकत में इन विद्यार्थियों से कॉलेजों द्वारा दाखिलों की फीस वसूली जा रही है। इसका खुलासा खुद महानिदेशक उच्चतर शिक्षा हरियाणा के प्रदेश की यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को भेजे गए हिदायत पत्र से हुआ है। दिलचस्प बात है कि शिक्षा निदेशालय पंचकुला के अपनी गाइडलाइन में वर्ष २००८ के बाद से फीस माफी को लेकर लगातार निर्देश तो जारी किए गए, मगर इससे आगे ना तो कॉलेजों में इस पर अमल हो सका और ना ही अभी तक किसी संस्थान पर आदेशों की अवहेलना को लेकर कार्रवाई ही अमल में लाई गई। लिहाजा सरकारी आदेशों के बावजूद इन सालों में हजारों विद्यार्थियों से करोड़ों रुपए फीस वसूली ने कॉलेज के साथ यूनिवर्सिटी व अधिकारियों की कार्यप्रणाली को भी कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। 
वर्ष 2006 में सामाजिक न्यायिक अधिकारिकता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सरकारी व एडिड कॉलेजों में एससी श्रेणी के विद्यार्थियों की फीस माफी को लेकर दिशा में निर्देश जारी किए गए। इसके बाद शिक्षा निदेशालय हरियाणा की ओर से वर्ष 2008 में सभी यूनिवर्सिटी को एससी कैटेगरी के विद्यार्थियों को इसे लेकर निर्देश दिए गए। इसके तहत सरकारी व एडिड कॉलेज में एकेडमिक कोर्सेज में पढऩे वाले अनुसूजित जाति के विद्यार्थियों से जरूरी फीस व फंड जैसे एनरोलमेंट, रजिस्ट्रेशन फीस, ट्यूशन फीस, खेल, यूनियन, लाइबेे्ररी, मैग्जीन, मेडिकल व एग्जामिनेशन सहित अन्य फंड नहीं लिए जाएंगे। निदेशालय के आदेशों के बावजूद आजतक भी प्रदेशभर के तकरीबन कॉलेजों में विद्यार्थी दाखिले के समय फीस जमा करा रहे हैं। इसी को लेकर दिसंबर 2013 में निदेशालय की ओर से फिर से विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को आदेशों की पालना नहीं होने का पत्र जारी किया गया तथा आदेशों पर अमल नहीं होने पर सख्त कार्रवाई की भी हिदायत दी गई। 
फीस के लिए ये हैं निर्देश : 
कॉलेज द्वारा अनुसूजित जाति के विद्यार्थियों से दाखिलों के समय फीस नहीं ली जाएगी। कॉलेज शिक्षा निदेशालय को विद्यार्थियों की फीस की छूट के बारे में लिखेंगे। शिक्षा निदेशालय द्वारा जांच के बाद फीस को री-इम्बर्स किया जाएगा। 
विभिन्न कॉलेज प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार की ओर से डबल स्टैंडर्ड नीति अपनाई हुई है। एक ओर तो निर्देश जारी कर दिए कि फीस माफ करो, दूसरा यूनिवर्सिटी की ओर से दाखिले के समय ही सभी बच्चों की फीस जमा कराने के निर्देश हैं। जबकि सरकार की ओर से कॉलेजों को यह पैसा बाद में री-इंबर्स किया जाएगा। 
आदेशों की अवहेलना पर कार्रवाई: उपनिदेशक 
ये भारत सरकार की री-इंबर्समेंट स्कीम है। इसमें विद्यार्थी को दाखिले के समय फीस नहीं देनी होगी। यदि किसी कॉलेज ने नियमों के विरुद्ध फीस वसूली तो विद्यार्थी यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार व शिक्षा निदेशालय को शिकायत दे सकता है। आदेशों की अवहेलना करने वाले संस्थानों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। अरूण जोशी, उपनिदेशक, शिक्षा निदेशालय, पंचकुला।                                           db

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