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Thursday 26 March 2015

नहीं देनी होगी परीक्षा ड्यूटी अब शिक्षक करेंगे मूल्यांकन

** एससीईआरटी गुड़गांव ने जारी किए निर्देश, शिक्षकों का होगा रिप्लेसमेंट
** शिक्षक संगठनों के विरोध के बाद बैकफुट पर आया विभाग
भिवानी : शिक्षक संगठनों के विरोध के बाद शिक्षा विभाग बैकफुट पर आ गया है। अब 6वीं-8वीं की परीक्षा में तैनात उन शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के आदेश हुए हैं, जिनकी ड्यूटी बोर्ड परीक्षा की कापियों के मूल्यांकन में लगी है। 
एससीईआरटी गुड़गांव ने बुधवार को यह आदेश जारी करते हुए सभी डीईओ व बीईओ को इसका पालन सुनिश्चित कराने को कहा है। यह हिदायत भी दी है कि 6वीं-8वीं परीक्षा से हटाए जाने वाले शिक्षकों का वह अपने स्तर से रिप्लेसमेंट भी करें, ताकि शेड्यूल के अनुसार इसके संचालन में कोई असर न पड़े।
नई व्यवस्था के तहत शिक्षा विभाग ने 6वीं-8वीं की परीक्षा के लिए दूसरे स्कूलों के अध्यापकों की ड्यूटी लगा रखी है। इन्हें परीक्षा संचालन के साथ कापियाें के मूल्यांकन की प्रक्रिया पूरी कराकर ही वापस लौटने को कहा गया था। यह प्रक्रिया 30 मार्च तक चलनी है। इस बीच बोर्ड ने भी 26 मार्च 10वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का शेड्यूल तय करते उन्हीं शिक्षकों की ड्यूटी बतौर परीक्षक लगा दी, जिन्हें विभाग ने पहले ही 6वीं-8वीं परीक्षा के लिए तैनात कर रखा है। एक ही समय में दो-दो ड्यूटी दिए जाने से शिक्षक असमंजस में थे। 
शिक्षक संगठनों ने भी विभाग व बोर्ड के बीच सामंजस्य न होने से उत्पन्न हुई इस परिस्थिति पर कड़ा ऐतराज जताया था। आंदोलन की भी चेतावनी दी थी। इसके बाद हरकत में आए विभाग ने अब पलटवार करते हुए बोर्ड के परीक्षक बनाए गए शिक्षकों को 6वीं-8वीं परीक्षा की ड्यूटी से मुक्त करने का आदेश दिया है। 
एससीईआरटी गुड़गांव की ओर से बुधवार को जारी पत्र आरईएपी/2015/एससीईआरटी में निर्देश दिया है कि इन शिक्षकाें को विभाग तत्काल परीक्षा ड्यूटी से कार्यमुक्त करते हुए मूल्यांकन में भेजना सुनिश्चित करे। इनके स्थान पर दूसरे ऐसे शिक्षकों को 6वीं-8वीं के परीक्षा कार्य के लिए लगाने को कहा गया है, जो समान या उच्च योग्यता वाले हों और उनकी मूल्यांकन में ड्यूटी न लगी हो। एससीईआरटी ने यह हिदायत भी दी है कि उच्च प्राथमिक परीक्षाओं का कार्य (परिणाम समेत) तय शेड्यूल के अनुसार 3 अप्रैल तक हर हाल में पूरा होना चाहिए।
सत्र के आरंभ में ही तय हों निर्देश
हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव ने इसे विभाग व बोर्ड में आपसी सामंजस्य के अभाव का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसे इंतजाम होने चाहिए, जिससे विवाद की स्थिति ही उत्पन्न न हो। बोर्ड चाहता तो मूल्यांकन कार्य 30 के बाद शुरू करा सकता था। मगर तालमेल न होने से यह दिक्कत हुई। उन्होंने सत्र के प्रारंभ में ही सभी शेड्यूल निर्धारित करने की मांग की है।                                                      au


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