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Sunday 28 June 2015

एमआईएस : हरियाणा शिक्षा विभाग के पोर्टल से दो दिन की एंट्री डिलीट हो गईं

** कहीं सरकारी एजेंसी के पोर्टल पर सेंध लगाकर साइबर क्राइम का ट्रायल तो नहीं 
गन्नौर : सरकार के सूचना तंत्र की सुरक्षा कितनी लचर है इसमें कितनी खामियां है, इसका अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि प्रदेश भर में शिक्षा विभाग के पोर्टल पर ऑन लाइन एडमिशन के लिए की गई एंट्री डिलीट हो गईं। इसकी सूचना शिक्षा विभाग के पोर्टल पर जारी की गई है। इसमें कौन सेंध लगा रहा है, इसमें कितनी सिक्योरिटी है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है। संबंधित विभाग के अधिकारियों को इस पर गंभीरता से विचार करना पड़ेगा नहीं तो भविष्य में कोई बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। यह किसी बड़े साइबर क्राइम को करने का ट्रायल भी हो सकता है। 
पहली बार मिली थी यह सुविधा: 
हरियाणा विद्यालय शिक्षा विभाग द्वारा अप्रैल 2015 से राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में ऑनलाइन दाखिला प्रणाली को आरंभ किया गया था। यह सुविधा पहली बार आरंभ हुई है। जब विद्यार्थियों के दाखिले ऑनलाइन भरे जाते हैं तो एमआईएस मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम पोर्टल से विद्यार्थी के मोबाइल पर उनका एसआरएन (स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन नंबर) भेजा जाता है। जिससे विद्यार्थी का एडमिशन कंफर्म हो जाता है। 
सभी के पास इंटरनेट और कंप्यूटर की सुविधा नहीं: 
इसकार्य को पूरा करने के संदर्भ में विभाग द्वारा समय-समय पर पत्र जारी किए गए। लेकिन सभी राजकीय विद्यालयों में इंटरनेट और कंप्यूटर की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से जिला खंड स्तर के कार्यालयों में पत्र आया कि 30 जून 2015 तक सभी विद्यालयों का कार्य 80 प्रतिशत खत्म हो जाना चाहिए। जबकि राजकीय विद्यालयों ने अपना ऑनलाइन एडमिशन का कार्य विभाग के दिशा निर्देशों पर 80 प्रतिशत तक पूरा कर लिया था, लेकिन राज्य के जिन राजकीय विद्यालयों ने 22 जून शाम साढ़े छह बजे से 24 जून तक जितने भी ऑनलाइन एडमिशन किए वो सभी शिक्षा विभाग के पोर्टल से डिलीट हो गए। जो सरकार के सूचना तंत्र की खामियां दर्शाता है।
इंटरनेट के 1200 रुपए किस मद से खर्च होंगे 
राजकीय विद्यालयों को ये कार्य दोबारा से ऑनलाइन करके भरना पड़ेगा। जिसका अन्य आवश्यक कार्यों पर भी असर पड़ेगा। एक ओर तो सरकारी विद्यालयों में साधनों की कमी और दूसरी ओर शिक्षा विभाग की कार्य पूर्ण करने की समयावधि आड़े रही है। शिक्षा विभाग ने गत दिनों एक पत्र जारी किया जिसमें कहा गया कि राज्य के केवल प्राइमरी विद्यालय 1200 रुपए प्रति माह इंटरनेट पर खर्च कर सकते हैं। लेकिन इस पत्र में ये कहीं भी जिक्र नहीं किया गया कि ये 1200 रुपए किस हैड से खर्च होंगे।                                                                       db


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