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Saturday 12 September 2015

क्यों लगते हैं बार-बार चुनिंदा केंद्र अधीक्षक

** आसंर शीट बदलने के मामले में केयू की कंडक्ट ब्रांच भी शक के दायरे में
** कई केंद्र अधीक्षकों को भेजा नोटिस, नहीं आए 
** संबंधित कॉलेज का प्रशासन और प्रबंधन भी शक के दायरे में 
कुरुक्षेत्र : बीटेक परीक्षा में विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के मामले की परतें खुलने लगी हैं। जांच आगे बढ़ने के साथ ही मामला गहराता जा रहा है। जिन कॉलेजों में होनहारों की आंसर शीट बदली गई हैं, उन केंद्रों पर केंद्र अधीक्षक ज्यादातर रिपीट किए गए थे। इनमें से कुछ परीक्षा केंद्र अधीक्षक तो मानकों को भी पूरा नहीं करते थे। 
इस मामले में केंद्र अधीक्षकों के साथ संबंधित कॉलेज प्रबंधन और उनका प्रशासन भी शक के दायरे में हैं। इसके साथ ही कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की कंडक्ट ब्रांच पर भी शक गहरा गया है। क्योंकि, परीक्षा केंद्रों पर स्टाफ से लेकर केंद्र अधीक्षक तक की ड्यूटी लगाने की जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी कंडक्ट ब्रांच की ही होती है। यूनिवर्सिटी सूत्रों की मानें तो इस पूरे खेल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की परीक्षा नियंत्रक शाखा के अंतर्गत आने वाली कंडक्ट ब्रांच के लोेग की कार्यप्रणाली भी शक के घेरे में आ गई है। 
ये हैं केंद्र अधीक्षक के लिए नियम 
यूनिवर्सिटी कैलेंडर में परीक्षा केंद्र अधीक्षक लगाने के लिए मानक निर्धारित हैं। इनका पालन करना अनिवार्य हैं। इनमें सबसे पहली शर्त यही है कि किसी भी परीक्षा केंद्र पर केंद्र अधीक्षक दोहराया नहीं जा सकता है। इसके साथ ही केंद्र अधीक्षक लगने के लिए कम से कम 10 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव होना अनिवार्य है और उपकेंद्र अधीक्षक लगने के लिए कम से कम पांच वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है। 
कंडक्ट ब्रांच का खेल तो नहीं 
बताया जा रहा है कि उन महोदय के खास व्यक्ति यूनिवर्सिटी की कंडक्ट ब्रांच में कार्यरत हैं। इन केंद्रों पर आब्जर्वर भी अंबाला के एक कॉलेज से रिटायर प्रोफेसर को लगाया गया था। ऐसे में कंडक्ट ब्रांच पर शक गहराता जा रहा है। सूत्रों की मानें तो कॉलेज प्रशासन और प्रबंधन के साथ मिलीभगत कर ये खेल खेला गया है। इस पूरी मामले की जांच कर रही कमेटी ने इन परीक्षा केंद्र अधीक्षकों को नोटिस भेजकर जांच में शामिल होने के आदेश दिए हैं। हालांकि, अभी तक ये लोग जांच में शामिल नहीं हुए हैं। 
ये चल रहा था खेल 
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से संबद्ध कुछ इंजीनियरिंग कॉलेजों में मोटा लाभ कमाने के चक्कर में होनहार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था। इन होनहार छात्रों की आंसर शीट में से अंदर के सारे पेज निकालकर उनको अपने चहेतों की आंसर शीट में लगाया जा रहा था। खुलासा तब हुआ जब नंबर कम आने पर कुछ छात्रों ने पेपरों की री-चेकिंग करवाई। री-चेकिंग में आंसर शीट्स की जांच की, तो उनमें पेपर स्टेपल किए हुए मिले। विद्यार्थियों ने भी साफ कहा कि आंसर शीट में लिखावट उनकी नहीं है। इसके बाद तत्काल प्रोक्टर के नेतृत्व में चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई। अभी तक ऐसी करीब 40 आंसर शीट्स मिल चुकी है, जिनसे छेड़छाड़ की गई है।
दो केंद्रों पर रिपीट हुए अधीक्षक
यूनिवर्सिटी सूत्रों के अनुसार किसी भी परीक्षा केंद्र पर स्टाफ से लेकर परीक्षा केंद्र अधीक्षक तक की नियुक्ति परीक्षा नियंत्रक की कंडक्ट ब्रांच लगाती है। जिन कॉलेजों में विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया, उन कॉलेजों में से दो परीक्षा केंद्रों में पर परीक्षा केंद्र अधीक्षक रिपीट किए गए। इनमें एक परीक्षा केंद्र पर तो किसी अन्य परीक्षा केंद्र अधीक्षक की ड्यूटी पर लगा दी गई थी, लेकिन बाद में अपने चहेते को ही परीक्षा केंद्र अधीक्षक लगवाने के लिए उस अधीक्षक से एप्लीकेशन ले ली गई। यूनिवर्सिटी के नियमों को भी ये केंद्र अधीक्षक पूरे नहीं करते थे। दूसरे केंद्र अधीक्षक भी ऐसे लगाए गए, जो लगातार केंद्र अधीक्षक ही बनते आ रहे थे।                                                             au 

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