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Thursday 11 February 2016

बच्चों की संख्या एक लाख पार, पढ़ाने वाले तीन हजार

** परिणाम खराब आने का मुख्य कारण अध्यापकों की कमी
** विशेष कक्षाओं के बाद भी हालत भी नहीं सुधरे हालत
फतेहाबाद : पिछली साल शिक्षकों कमी के कारण दसवीं का परिणाम खराब रहा। यह पहली बार नहीं। हर बार परिणाम यही रहता है। परिणाम खराब आते ही शिक्षा विभाग विशेष कक्षाएं लगवाता है। 
विशेष कक्षाएं लगाने के बाद भी हाल ज्यों की त्यों रहता है। इस कारण बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्कूल का परीक्षा परिणाम खराब आने का मुख्य कारण स्कूलों में अध्यापकों की कमी होना है। विभाग इस कमी को तो पूरा नहीं कर रहा है। विभाग हर वक्त नई शिक्षा नीति को बनाने में लगा रहता है। जिले में इस बार 11 सरकारी स्कूल ऐसे थे जिनका परीक्षा परिणाम 5 प्रतिशत से भी कम रहा है। 
स्कूलों में अध्यापकों की कमी होने के कारण अन्य विषयों के अध्यापक बच्चों को पढ़ा रहे हैं। जल्द ही दूसरे चरण के परिणाम आने वाले है, लेकिन अभी तक स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर नहीं किया गया है।
"कई स्कूलों में शिक्षक की कमी है। इसके लिए उन्होंने उच्च अधिकारियों को पत्र भी लिखा हुआ है। जल्द ही नये शिक्षकों की भर्ती की जाएगी और स्कूल में शिक्षकों की कमी हो पूरी हो जाएगी। खराब परिणाम आने वाले शिक्षकों को चार्जशीट भी किया गया है । परिणाम को सुधारने के लिए शिक्षकों को कड़े आदेश दिये है कि कोई भी शिक्षक बच्चों को पढ़ाने में लापरवाही में बरते है। अगर कोई लापरवाही करता मिलता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"-- डॉ. यज्ञदत्त वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी।
शिक्षा विभाग नहीं उठा रहा कोई कदम
जिले में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या एक लाख पांच हजार से अधिक है। जबकि इन बच्चों को पढ़ाने के लिए तीन हजार के करीब शिक्षक लगे हुए है जबकि पांच हजार के करीब शिक्षक होना जरूरी है। यह कमी पिछले कई सालों से है। इन पदों को भरने के लिए शिक्षा विभाग कोई कड़े कदम उठा ही नहीं पाया है। इन खाली पदों में ¨प्रसिपल, लेक्चरार, हेड, मास्टर व कई अन्य पद खाली है।
इन स्कूलों में कई साल से नहीं हैं शिक्षक
गांव झलनियां में कई विषय के पद खाली पड़े हुए है। इसमें गणित, साईंस के पद खाली पड़े है। गांव ठुईयां राजकीय हाई स्कूल में हंिदूी, अग्रेंजी, गणित, सामाजिक के पद खाली है। गांव ढाणी डूल्ट में संस्कृत का पद खाली पड़ा हुआ है। फतेहाबाद में भीमा बस्ती में गणित का टीचर दो साल से टीचर ही नहीं है। इन स्कूलों में अध्यापकों की कमी पूरी हो नहीं पा रही है।                                                     dj 

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