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Saturday 27 February 2016

सर्दी, चुनाव, आंदोलन में गुजरा सेमेस्टर

** असर : 10वीं और 12वीं की 8 मार्च से परीक्षा, 25 फरवरी से होने वाली प्रैक्टिकल्स स्थगित 
** कक्षाएं लग पाने से विद्यार्थियों को सता रही नतीजों की चिंता, परीक्षाएं हैं सिर पर 
हिसार : जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान स्कूलों में छुट्टियों के चलते बच्चे पेपरों की तैयारी करने में असहज महसूस कर रहे हैं। 8 मार्च से शुरू होने वाली दसवीं और बारहवीं कक्षाओं की परीक्षाओं की तैयारी इतने कम समय में कैसे हो यह बात अध्यापकों को भी सता रही है। 
 हाल में ही अाए पिछले सेमेस्टर की परीक्षाओं के खराब परिणाम के कारण सरकार आगामी सेमेस्टर में रिजल्ट सुधारने पर जोर देने के लिए हरकत में आई थी। मगर पहले सर्दियों की छुट्टी, चुनाव में टीचरों की ड्यूटी और जाट आरक्षण आंदोलन के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। इतने दिन तक कक्षाएं लग पाने के बाद भी परीक्षा परिणाम में बेहतर कैसे लिए जाए यह बड़ा सवाल है। 25 फरवरी से शुरू होेने वाली 10वीं और 12वीं कक्षाओं की प्रैक्टिकल्स को परीक्षाओं के बाद करवाने का निर्णय लिया गया है। 
जीरो प्रतिशत परिणाम, नीतियों में किया बदलाव 
दसवीं कक्षाओं के परिणाम में कुछ स्कूलों का परिणाम जीरो प्रतिशत रहा तो बाकियाें में भी खराब ही रहा। दूसरे सेमेस्टर की परीक्षाओं में इस तरह के हालात बनें, इसके लिए सरकार ने स्कूलों में रेमेडियल कक्षाएं लगवाने के निर्देश दिए थे। साथ ही आगामी सत्र से सेमेस्टर प्रणाली को खत्म करने नीति भी बनाई। परीक्षाओं की तैयारी सही से हो सके इसके लिए विद्यार्थी और अध्यापक प्रयासरत हुए ही थे कि जाट आरक्षण आंदालेन के दौरान छुट्टियों और तनाव के कारण बच्चे पढ़ नहीं पाए। 
अभी नहीं आई कोई गाइडलाइन 
"10वीं,12वीं कक्षाओं की परीक्षाओं को स्थगित करने या करने को लेकर अभी कोई सूचना नहीं मिली है। वहीं बच्चों को पढ़ाने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाने के लिए भी कोर्इ गाइडलाइन नहीं आई है।'' -- मधुमित्तल, जिला शिक्षा अधिकारी। 
एक साल में रहे 214 वर्किंग-डे, इस सेमेस्टर में 98 वर्किंग-डे 
प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं में 116 और दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा शुरू होने तक 98 वर्किंग-डे बनते हैं। इस तरह स्कूलों इस साल कुल 214 वर्किंग-डे ही रहे। वहीं 25 दिसंबर से 10 जनवरी तक सर्दियों का अवकाश रहा। इसके बाद 26 जनवरी के पास जबरदस्त ठंड गिरने से 27 से 31 जनवरी तक दोबारा छुट्टियां घोषित की गई। वहीं तीनों चरणों में चुनाव में ड्यूटी लगने से एक टीचर को 12 दिन चुनाव की ड्यूटी में मौजूद रहना पड़ा। वहीं अपनी बाकी रही छुट्टियों को पूरा करने के लिए दिसंबर माह में अध्यापक भी अवकाश पर रहे। ऐसे में इस साल अन्य सालों की तुलना मेें लगभग 25 छुट्टियां ज्यादा रही।                                                                      db

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