पानीपत: 7 वर्षों का सब्र जवाब दे गया है। सरकार हमें अब तक पक्का नहीं कर पाई। अब और आश्वासन नहीं चाहिए। हमें पक्का करो। हमें नियमित रोजगार दो। रोजगार के लिए हम अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हैं। इतने साल बाद भी हम अतिथि अध्यापक ही हैं। काम हम रेगुलर अध्यापकों से कहीं ज्यादा करते हैं और हमें जो मजदूरी मिलती है उसके निवाले से घर नहीं चलता।
रविवार को सैकड़ों की तादाद में अतिथि अध्यापक सड़कों पर उतरे और उन्होंने यह बात कही। रोहतक के लिए लघु सचिवालय से पैदल मार्च करते हुए बिंझौल नहर से रोहतक के लिए रवाना हुए। अतिथि अध्यापकों के जुलूस के कारण शहर में जाम की स्थिति रही।
हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के अध्यापकों ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार सात वर्षों से कार्यरत अतिथि अध्यापकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। सात वर्ष पहले प्रदेश सरकार ने नीति बनाकर जब अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति की थी तो उस समय राजकीय विद्यालय छात्र संख्या व शिक्षा स्तर दोनों ही पिछड़े हुए थे और बंद होने की कगार पर थे।
हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अरुण मलिक, प्रधान महासचिव राजेंद्र शास्त्री, संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रणबीर सुहाग, प्रदेश महिला महासचिव सोनिया गिल, राजेश शर्मा, कोषाध्यक्ष शिवचरण ने अतिथि अध्यापकों को संबोधित किया।
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