प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 35 हजार विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का भविष्य संवारने वाले स्पेशल गुरुजी का खुद का ही भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। केंद्र सरकार से 15 हजार रुपये प्रति माह वेतन मंजूर होने के बावजूद प्रदेश सरकार उन्हें सिर्फ नौ हजार रुपये प्रति माह ही भुगतान कर रही है जो शिक्षा विभाग में किसी भी तरह के अन्य टीचर से काफी कम है। इस बेरूखी के बावजूद स्पेशल गुरुजी साल 2006 से निरंतर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का भविष्य संवारने के लिए स्पेशल टीचर लगाए गए थे। स्पेशल टीचर का अभिप्राय उन टीचरों से है, जिन्होंने विशेष शिक्षा से बीएड की हुई है और भारतीय पुनर्वास परिषद से रजिस्टर्ड हैं। इन्हें बीएड के दौरान विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के साथ पेश आने के तरीके आदि के बारे में सिखाया जाता है। प्रदेश के स्कूलों में स्पेशल टीचर की संख्या 450 है जबकि छात्रों की संख्या 35 हजार है। इन 450 स्पेशल टीचर में से करीब 200 ऐसे हैं जो साल 2006 से महकमे को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उधर, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय के परियोजना अनुमोदन बोर्ड ने स्पेशल टीचर का वेतन एक अप्रैल 2011 से 15 हजार रुपये महीना स्वीकृत किया हुआ है। बढ़े हुए वेतन के अनुसार ही प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर को केंद्र से बजट जारी हो रहा है। परियोजना अनुमोदन बोर्ड के निर्देश पर दिल्ली व पंजाब में स्पेशल टीचर को बढ़ा हुआ वेतन दिया जा रहा है, जबकि हरियाणा इस मामले में पिछड़ गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार स्पेशल टीचर का वेतन एक सामान्य अध्यापक के वेतन की अपेक्षा ज्यादा होता है। विशेष भत्ता जैसी सुविधाएं भी उसे दी जाती हैं लेकिन प्रदेश में स्पेशल टीचर को चतुर्थ श्रेणी कर्मी के आसपास ही वेतन नसीब हो रहा है।
...DJ
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