हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा अप्रैल 2010 में की गई पीटीआइ भर्ती में एक और फर्जीवाड़े का खुलासा है। आयोग ने चहेते सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को भर्ती करने के लिए अंकों में जमकर हेराफेरी की। हाई कोर्ट की एकल पीठ इस भर्ती को रद करने का आदेश दे चुकी है। फिलहाल मामला खंडपीठ में विचाराधीन है।
अप्रैल 2010 में घोषित पीटीआइ टीचर भर्ती परिणाम के बाद से ही चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए थे। भर्ती के लिए तय अधिकतम 90 अंकों में से 60 अंक अकादमिक और 30 अंक साक्षात्कार के लिए निर्धारित थे। कई अभ्यर्थी ऐसे थे, जिनका साक्षात्कार के अंक अधिक देने के बावजूद चयन संभव नहीं था क्योंकि उनके अकादमिक अंक काफी कम बन रहे थे। इनका चयन करने के लिए कमीशन ने अपने रिकॉर्ड में शैक्षणिक अंकों को ही बदल दिया। कई मामलों में प्राप्तांक बढ़ा दिए गए तो कई में परीक्षा के अधिकतम अंकों को घटाकर प्राप्तांक प्रतिशत बढ़ा दिया गया।
आरटीआइ कार्यकर्ता चहड़पुर (भिवानी) निवासी दलबीर सिंह ने सूचना का अधिकार के तहत हासिल दस्तावेजों से इन गड़बड़ियों का भंडाफोड़ किया है। इनके अनुसार यमुनानगर से अभ्यर्थी सुंदरलाल के मैटिक में 900 में से 308 (34 फीसद) अंक थे। लेकिन उसका चयन करने के लिए इस परीक्षा में उसके 600 में से 308 अंक (51.3 फीसद) दर्शाए गए। सुंदरलाल ने मैटिक 1987 में की थी। उस समय हरियाणा शिक्षा बोर्ड छह विषयों की परीक्षा लेता था और प्रत्येक के अधिकतम 150 (कुल 900) अंक होते थे। इसी तरह, हांसी निवासी विजय कुमार के बीपीएड में हासिल 2224 अंकों की बजाय एचएसएससी द्वारा 2424 अंक दर्ज किए गए हैं। कुरुक्षेत्र निवासी पंकज पराशर ने जमा दो परीक्षा में 450 अंकों में से 226 हासिल किए थे, लेकिन आयोग में इसके अधिकतम अंक 450 की बजाय 420 दर्ज किए। भिवानी निवासी शिव मोहन शर्मा के चयन के लिए मैटिक के 362/600 की बजाय 362/500 अंक दर्ज किए गए। रोहतक निवासी विजेंदर सिंह के लिए भी मैटिक में 272/600 की बजाय रिकार्ड में 272/500 अंक कर दिए गए। बल्लभगढ़ निवासी पुष्प लता के मैटिक में प्राप्तांक 202 थे जबकि रिकॉर्ड में 295 बताए गए हैं। झज्जर निवासी अनिल कुमार के मैटिक में 243 अंक हासिल किए थे, लेकिन एचएसएससी के रिकार्ड में 289 दर्ज हैं। इसी तरह चरखी दादरी निवासी सतवीर सिंह के मैटिक में ही प्राप्तांक 206 से बढ़ाकर आयोग ने 242 कर दिए।
...DJ
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