नई दिल्ली : सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षक फिर से विश्वविद्यालयों में क्लास
लगा सकते हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी को देखते
हुए मानव संसाधन मंत्रलय इन दिनों इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है।
इसे लेकर मंत्रलय ने पिछले दिनों देश भर के केंद्रीय विवि से भी चर्चा की
है। साथ ही यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) से भी इस संबंध में राय
मांगी है। माना जा रहा है कि जब तक विश्वविद्यालयों में खाली पदों को भरा
नहीं जाता है, तब तक रिटायर्ड शिक्षकों की मदद ली जा सकती है। मंत्रलय से
जुड़े सूत्रों की मानें तो फिलहाल इस प्रस्ताव पर देश के सभी केंद्रीय
विश्वविद्यालयों ने सहमति दे दी है। इसके बाद मंत्रलय ने ऐसे शिक्षकों की
एक सूची तैयार करने को कहा है, जिनकी उम्र 75 साल से कम है। जो स्वस्थ्य
हों और उनका पढ़ाने का ट्रैक रिकार्ड भी अच्छा रहा हो। माना जा रहा है कि
विश्वविद्यालय से सूची मिलने के बाद मंत्रलय इस संबंध में कुछ फैसला ले
सकता है। वहीं इससे जुड़े अन्य पहलुओं का पता लगाने का जिम्मा मंत्रलय ने
यूजीसी को सौंपा है। यूजीसी को ही गाइड लाइन जारी करनी होगी। देश के सभी
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी के चलते रिटायर्ड
शिक्षकों की सेवाएं लेने का ख्याल मंत्रलय को आया है। इनमें से करीब 16 ऐसे
भी केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं, जहां पचास फीसद या उससे ज्यादा शिक्षकों
के पद खाली पड़े हैं। इनमें से नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों का हाल और भी
ज्यादा खराब है, जहां शिक्षकों के 80 फीसद तक पद खाली हैं। एक रिपोर्ट के
मुताबिक देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के छह हजार से
ज्यादा पद खाली हैं।
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