इलाहाबाद : गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात वर्षीय प्रद्युम्न की
हत्या बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने स्कूलों में
कार्यरत कर्मचारियों का साइकोमेटिक टेस्ट कराने का फैसला किया है। यह
परीक्षण व्यक्ति की मनोस्थिति को आधार बनाकर डिजाइन किया गया है। छात्रों
के बीच कर्मचारियों की मनोस्थिति कैसी होनी चाहिए इसका इस डिजाइन में ध्यान
रखा गया है। यह परीक्षण स्टॉफ के व्यक्तित्व एवं चरित्र को रेखांकित
करेगा।
सीबीएसई ने देशभर में अपने विद्यालयों में साइकोमेटिक टेस्ट
कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं। कर्मचारियों के मानसिक स्तर की जांच
अनिवार्य रूप से कहने की बात कही गई है। सीबीएसई ने अपने विद्यालयों में
अध्ययनरत छात्र-छात्रओं की सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाया है। बोर्ड ने
सभी संबद्ध विद्यालयों में ‘सेफ्टी ऑफ चिल्ड्रेन’ प्रपत्र भेजकर दो माह
में साइकोमेटिक टेस्ट कराने की बात कही है। साइकोमेटिक टेस्ट कर्मचारियों
के पद को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। जो संबंधित व्यक्ति की
अभिव्यक्ति एवं स्वभाव का विवरण प्रस्तुत करेगा। सीबीएसई के उपसचिव जय
प्रकाश चतुर्वेदी द्वारा जारी प्रपत्र में स्पष्ट कहा गया है कि स्कूलों
में कार्यरत कर्मचारियों का पुलिस वेरीफिकेशन और साइकोमेटिक मूल्यांकन
कराना आवश्यक है। यह मूल्यांकन नॉनटीचिंग स्टाफ के साथ बस ड्राइवर, कंडक्टर
चपरासी एवं अन्य सपोर्ट स्टाफ का भी कराया जाना है। यदि किसी कालेज में
ऐसी घटना हुई है और जांच में कर्मचारी पर दोष सिद्ध हो जाता है तो कालेज की
संबद्धता समाप्त की जा सकती है। महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर इंटर कालेज की
प्रधानाचार्या सुष्मिता कानूनगो का कहना है कि परिषद से संबद्ध सभी
विद्यालयों में यह जांच सख्ती के साथ पूरी करने की बात कही है। बच्चों की
सुरक्षा के स्तर पर किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
स्कूलों ने सीबीएसई को कठघरे में खड़ा किया
गुरुग्राम स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल में छात्र प्रद्युम्न
की हत्या के बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूल परिसर
में बच्चों की सुरक्षा को लेकर अपना रुख कड़ा किया है। सीबीएसई ने स्कूलों
को मान्यता रद करने की चेतावनी देते हुए नए निर्देश जारी किए हैं, लेकिन इन
निर्देशों को लेकर स्कूलों में नाराजगी है। स्कूलों ने साइकोमेटिक टेस्ट
को अव्यावहारिक बताते हुए सीबीएसई को ही कठघरे में खड़ा किया है। दिल्ली
केएक प्रतिष्ठित निजी स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि अधिकांश स्कूल पहले
से ही सुरक्षा निर्देशों का पालन कर रहे हैं। स्कूल स्टाफ के साइकोमेटिक
टेस्ट की बात नई है, लेकिन यह अव्यावहारिक है। दिल्ली स्कूल मैनेजमेंट
एसोसिएशन के अध्यक्ष एसके भट्टाचार्य का कहना है कि स्कूल में शिक्षा दी
जाती है। स्कूल स्टाफ का साइकोमेटिक टेस्ट कराने की बात बिलकुल ही
अव्यावहारिक है। इस मामले में सीबीएसई के पास निर्देश जारी करने का अधिकार
ही नहीं है। वह सिर्फ संबद्धता देता है और परीक्षा बोर्ड है। स्कूल बच्चों
की सुरक्षा को लेकर निर्देशों का पालन करते रहे हैं और अब दिल्ली सरकार नए
निर्देश तैयार कर रही है।
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