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Sunday, 10 September 2017

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की मूल्यांकन प्रणाली पर सवाल

** प्रक्रिया में आ रही खामियों को दुरुस्त किया जाए। 
** बच्चों में लगातार सीखने की आदत बनी रहनी चाहिए। 
** स्कूलों में सेमेस्टर परीक्षा से सरकार पहले ही किनारा कर चुकी है
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड सतत व समग्र मूल्यांकन नीति में बदलाव की तैयारी में है। इस पर बहस की प्रकिया जारी है। इसका उद्देश्य यह था कि स्कूलों में नियमित शिक्षा का माहौल बरकरार रहे और नियमित तौर पर छात्र का आकलन किया जा सके। इसके तहत हर विषय के 20 फीसद अंक शिक्षकों के हिस्से में होते थे और वह छात्र के साल भर के प्रदर्शन और कक्षा में ली गई परीक्षाओं के आधार पर यह अंक देता था। कागजों में यह आदर्श स्थिति दिखती है और सभी बड़े स्कूल यही प्रणाली अपनाते हैं। लेकिन सरकारी स्कूलों में शायद यह प्रणाली अधिक रास नहीं आ रही। न शिक्षकों को और न ही अधिकारियों को। कुछ शिक्षक इसमें ईमानदारी नहीं दिखा रहे थे। न नियमित डायरी बनाई जा रही थी और न अंकों के लिए कोई रिकार्ड रखा जा रहा था। नतीजा कुछ बच्चों पर अंक लुटा दिए जाते थे और कुछ से नाइंसाफी हो जाती। उनके आधार पर स्कूलों की मेरिट तो सुधर जाती, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं व अन्य विश्वविद्यालयों में दाखिले के दौरान छात्र पिछड़ जाते थे। सीबीएसई भी इन अंकों को मूल अंकों में नहीं जोड़ता है।
स्कूलों में साल भर शिक्षा का माहौल रहे यह आवश्यक है। इसीलिए शिक्षा के अधिकार के तहत यह व्यवस्था दी गई थी। ऐसे में अगर इसको लागू करने में कुछ खामियां हैं तो उसके लिए नीति को जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। आवश्यक है कि प्रक्रिया में आ रही खामियों को दुरुस्त किया जाए। बच्चों में लगातार सीखने की आदत लगातार बनी रहनी चाहिए। शिक्षा के अधिकार के तहत परीक्षा व्यवस्था में कुछ बदलाव किए गए थे। यह उन्हीं में से एक माना जाता है। स्कूलों में सेमेस्टर परीक्षा से सरकार पहले ही किनारा कर चुकी है। इसी तरह कुछ और कड़े फैसले सरकार ने लिए हैं। अगर वास्तव में कुछ बदलाव किए जाने हैं तो ऐसे हों कि वह सबके लिए कारगर हों, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। नियम में बदलाव कर इस प्रणाली को और स्टीक बनाया जा सकता है। अब मूल्यांकन परीक्षा और वार्षिक परीक्षा दोनों में अलग-अलग उत्तीर्ण होना आवश्यक बना दिया जाए। साथ ही लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों को भी जिम्मेवार ठहराया जाए।प्रक्रिया में आ रही खामियों को दुरुस्त किया जाए। बच्चों में लगातार सीखने की आदत बनी रहनी चाहिए। स्कूलों में सेमेस्टर परीक्षा से सरकार पहले ही किनारा कर चुकी है

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