पानीपत : शिक्षा
विभाग की नयी तबादला नीति के बाद पानीपत जोन-2 के 4 स्कूलों में शिक्षकों
का संकट खड़ा हो गया हैं। यहां के 4 स्कूलों से जितने शिक्षकों के तबादले
हुए उसके आधे भी इन स्कूलों को दोबारा नहीं मिले। स्कूलों में शिक्षक नहीं
होने से हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक रहा है। इससे विद्यार्थियों
के साथ अभिभावक भी परेशान हैं।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय काबड़ी में कुल 12 शिक्षकों का तबादला
किया गया। इनमें 2 संस्कृत, 2 हिंदी, 2 पीटीआई, एक ड्राइंग, पंजाबी, 2
गणित और एक साइंस का शिक्षक शामिल है। लेकिन इस स्कूल में केवल 3 शिक्षक ही
वापस मिले। यहां 9 शिक्षकों का टोटा हो गया। स्कूल में करीब 1200
विद्यार्थी पढ़ते हैं, ऐसे में स्कूल में 9 शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई
प्रभावित हो ही है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय राजाखेड़ी की हालत भी
ऐसी ही है। यहां से भी 8 शिक्षक गए लेकिन वापस केवल साइंस शिक्षक और एक
पीटीआई मिले। यहां छठी से 12 तक के करीब 900 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे
हैं। उग्राखेड़ी गांव के सीनियर सेकंडरी सकूल में 9 शिक्षकों का
स्थानांतरण हुआ। इनमें से केवल स्कूल को हिंदी का शिक्षक ही मिला। यहां अभी
पीजीटी गणित, संस्कृत, फाइन आर्ट और अंग्रेजी का पद खाली हैं। बच्चों की
संख्या 1000 से अधिक है। गांव ऊझा के सीनियर सेकंडरी सकूल में एसएस,
संस्कृत, पीटीआई और ड्राइंग टीचर का तबादला हो गया। इनके स्थान पर कोई नहीं
आया। स्कूल में प्राचार्य के साथ-साथ भौतिकी, अर्थशास्त्र, राजनीति
शास्त्र, गणित(दो), फाइन आर्ट, डीपी, अंग्रेजी और कामर्स के पीजीटी पद पहले
से खाली हैं। यहां भी विद्यार्थियों की संख्या 1400 से अधिक है। गांव के
पूर्व सरपंच श्याल लाल कहते हैं कि सरकार बच्चों को सरकारी स्कूलों में
पढ़ाने को कहती है लेकिन शिक्षक हैं नहीं। बच्चे खाली बैठक कर अथवा इधर-उधर
घूम कर चले आते हैं। उक्त चारों स्कूल जोन दो में आते हैं। जोन दो के अन्य
कई स्कूलों में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है।
कमी को जल्द करेंगे दूर
शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक वीरेंद्र सहरावत का कहना है कि तबादले
मेरिट आधार पर किये गये हैं। कई जगह बच्चे न होने के कारण पद सरप्लस हो गये
थे। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी जाएगी। जरूरत पड़ी तो शिक्षकों
को वहां समायोजित करने पर विचार किया जा सकता है।
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