** बदलाव की तैयारी : शिक्षा बोर्ड प्रशासन सीसीई को समाप्त करने के लिए कर रहा मंथन
** कमेटी के सदस्यों में नहीं बन पा
रही है सहमति
भिवानी : परीक्षा परिणाम का मॉडरेशन बंद करने के बाद शिक्षा बोर्ड सतत व
समग्र मूल्यांकन (सीसीई) के 20 अंकों पर कैंची चलाने की तैयारी में है।
हालांकि अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन इससे लाखों छात्रों पर सीधा
प्रभाव पड़ना तय है। सीसीई के वर्तमान पैटर्न को बदलने के मुद्दे पर शिक्षा
बोर्ड, शिक्षा विभाग व एससीईआरटी के विशेषज्ञों की प्रशासनिक मामलों की
कमेटी की दो बैठके आयोजित हो चुकी हैं लेकिन अभी इस मुद्दे को लेकर आम
सहमति नहीं बन पा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो सीसीई के अंक समाप्त करने
के बाद न केवल छात्रों को नुकसान होगा, बल्कि बोर्ड कक्षाओं का परीक्षा
परिणाम भी गिरेगा।
दलील यह भी दी जा रही है कि कुछ माह बाद नई शिक्षा
नीति आएगी और इस नीति के आने से पहले सुधार के नाम से सीसीई के अंक हटाना
उचित नहीं है। विवाद इस बात का है कि सीबीएसई भी सीसीई के अंक छात्र के कुल
प्राप्तांक में नहीं दर्शाता। वजह है कि दिल्ली विवि व अन्य बड़े
संस्थानों में दाखिले के समय सीसीई के अंक नहीं जोड़े जाते और ऐसे में
हरियाणा के छात्रों की मेरिट गिर जाती है। ऐसे में उन्हें दाखिले से वंचित
रहना पड़ता है। हरियाणा बोर्ड इसीलिए नीति में बदलाव ला रहा है।
यह है सीसीई
शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रत्येक विषय में 20-20 अंक स्कूल के
शिक्षकों को ही आवंटित किए हैं। इनमें से 12 नंबर मासिक परीक्षा के आधार पर
मूल्यांकन और आठ अंक बेस लर्निग व क्लासरूम में प्रदर्शन के लिए दिए गए
हैं। सीसीई व वार्षिक परीक्षा दोनों में 33 फीसद अंक पास होने के लिए
अनिवार्य हैं।
"सीसीई में बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए सभी गुणों का
विश्लेषण होता है। लेकिन रिकॉर्ड रखरखाव ठीक नहीं होने की शिकायत आने लगी।
सीसीई में 18 या इससे अधिक अंक देने लगे, जिससे नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा
है। वैसे भी दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के समय सीसीई के अंक अलग से
काउंट करने लगे और इस वजह से भी छात्रों को परेशानी हो रही है। इसलिए सीसीई
के वर्तमान पैटर्न को बदलने की जरूरत है। इसी वजह से प्रक्रिया में बदलाव
पर मंथन चल रहा है।"--डॉ. डीपी कौशिक, प्राचार्य एवं सदस्य सीसीई कमेटी
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