नई दिल्ली : सीबीएसई के 12वीं कक्षा के करीब एक लाख
बच्चे औसतन हर साल कम्पार्टमेंट (पूरक परीक्षा) देते हैं। यह संख्या
सीबीएसई की मुख्य परीक्षा में बैठने वाले बच्चों की करीब नौ फीसदी है।
कम्पार्टमेंट में जो बच्चे बैठते हैं, उनमें से करीब 45 फीसदी ही पास हो
पाते हैं। सीबीएसई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 2018 में 12वीं के 91
हजार 818 छात्रों (8.8%) को कम्पार्टमेंट आई। जबकि 2017 में 1,03,055
(9.8%), वर्ष 2016 में 96,697 (9.3%) और 2015 में 97,404 (9.6%) छात्रों की
कम्पार्टमेंट लगी थी। इनमें से औसतन 86 फीसदी कम्पार्टमेंट का पेपर देते
हैं। इनमें पिछले तीन साल में करीब 45 फीसदी छात्र ही पास हो पाए हैं।
इस
बार 10वीं के बच्चों का पहली बार सीसीई पैटर्न से अलग रिजल्ट जारी हुआ है।
इसमें 1 लाख 86 (11%) कम्पार्टमेंट आई। ये बच्चे पहली बार कम्पार्टमेंट
देंगे, जबकि इसके पहले स्कूल ही बच्चों की अपने स्तर पर परीक्षा ले लेते
थे।
एक बच्चे को एक कम्पार्टमेंट पेपर देने के लिए 200 रुपए फीस के और
55 रुपए पोस्टल चार्ज के चुकाने पड़ते हैं। 10वीं और 12वीं के करीब पौने तीन
लाख बच्चों से कम्पार्टमेंट फीस के रूप में 62 करोड़ रुपए मिले हैं। अगर
बच्चे को किसी वजह से फीस भरने में देरी हो जाती है तो एक हजार से लेकर
पांच हजार रुपए तक फीस अदा करनी पड़ती है। अगर इस राशि को भी जोड़ा जाए तो
कम्पार्टमेंट के नाम पर वसूली जाने वाली राशि 70 करोड़ रुपए के पार भी जा
सकती है। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि कम्पार्टमेंट देने वाले
छात्रों को पास करवाने के लिए न तो कोई स्कूल अतिरिक्त समय देता है और न ही
सीबीएसई की कोई तैयारी होती है। दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग
में प्रोफेसर और पूर्व डीन अनीता रामपाल ने बताया कि मुश्किल से 15-20
प्रतिशत ही बच्चे पास हो पाते हैं। शेष | पेज 11 पर
ये बच्चे दे सकते हैं कम्पार्टमेंट
परीक्षा
कक्षा
10वीं में दो विषय और कक्षा 12वीं में एक विषय में छात्र यदि 33% न्यूनतम
अंक प्राप्त नहीं करता है तब बोर्ड कम्पार्टमेंट परीक्षा के रूप में अन्य
अवसर छात्र को परीक्षा पास करने के लिए देता है। यदि कोई छात्र 10वीं में
दो से अधिक और 12वीं में एक से अधिक विषयों में 33% से कम अंक पाता है तो
बोर्ड अनुत्तीर्ण कर देता है। यानी में 10वीं दो विषयों में और 12वीं दो
विषय में कम्पार्टमेन्ट देने का प्रावधान है।
कम्पार्टमेंट परीक्षा देने व पास होने वाले
साल शामिल बच्चे पास बच्चे
2015 84,927 44%
2016 82,531 42%
2017 91,414 50%
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