राजधानी हरियाणा : प्रदेश के सरकारी
स्कूलों पर सरकार हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है लेकिन इसके बावजूद
विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। जबकि यहां मोटी तख्वाह लेने वाले
शिक्षक हैं, पूरा सिस्टम बना हुआ है। लेकिन विद्यार्थियों का रुख इस तरफ से
मुड़ रहा है। पिछले पांच सालों में सरकारी स्कूलों में 60 से ज्यादा बच्चों
की संख्या घट गई है।
चालू शैक्षणिक सत्र की बात करें तो सरकारी
स्कूलों में करीब 21 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। जबकि प्राइवेट स्कूलों में
बच्चों की संख्या करीब 25 लाख है। बात यदि सरकारी स्कूलों के बच्चों की
पांच साल पहले की करें तो 2014-15 में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों
की संख्या 2 लाख 61 हजार से भी ज्यादा थी। जबकि हरियाणा सरकार सरकारी
स्कूलों पर काफी पैसा खर्च कर रही है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने
शिक्षा के लिए 12 हजार 66 करोड़ रुपए का बजट रखा था। जबकि चालू सत्र में यह
13 हजार 978 करोड़ रुपए का है। यहां यह भी जान लें कि सरकारी स्कूलों का
रिजल्ट भी ज्यादा ठीक नहीं है। इसी साल दसवीं का रिजल्ट तो 45 फीसदी तक भी
नहीं पहुंच पाया था।
इधर, शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा िक
स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम को लेकर यदि कोई कमी है तो इसकी जांच कराकर
इसे दूर किया जाएगा। सरकार का प्रयास है कि बच्चे पहली कक्षा से ही
अंग्रेजी मीडियम से पढ़े। नौवीं और दसवीं में साइंस-मैथ अंग्रेजी मीडियम
करने से बच्चों को आगे की कक्षाओं में फायदा होगा।
शिक्षा विभाग दिखा रहा सक्रियता
रिजल्ट
को लेकर हालांकि अब शिक्षा विभाग कुछ सक्रियता दिखा रहा है लेकिन देखना
होगा कि यह सक्रियता कब तक जारी रहेगी। शिक्षा मंत्री भी रिजल्ट को लेकर
ग्रेस मार्क्स की बात कहते रहे हैं। जबकि हाल यह है कि सरकारी स्कूलों में
पढ़ाई का स्तर ज्यादा ठीक नहीं है। कुछ स्कूलों का रिजल्ट तो पिछले सत्र में
जीरों भी रहा है।
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