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Tuesday, 18 April 2017

दो साल और नहीं खुल सकेंगे नए डीएड संस्थान

** 9870 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती कर चुके पांच साल में
** 20 हजार 600 छात्र अध्यापक कोर्स कर निकल रहे हर साल 
** 2013 से किसी नए शिक्षण संस्थानों को मान्यता नहीं दी गई प्रदेश में

चंडीगढ़ : प्रदेश में नए सत्र में (डिप्लोमा इन एजुकेशन) डीएड संस्थान खोलने या पुराने संस्थानों में सीटें बढ़ाने की उम्मीद लगाए बैठी निजी संस्थाओं को मौलिक शिक्षा विभाग ने तगड़ा झटका दिया है। न केवल इस साल, अपितु अगले साल भी न तो नया संस्थान खोलने की अनुमति होगी और न ही सीटों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी। मौलिक शिक्षा निदेशालय ने बकायदा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को पत्र लिख दो साल तक नए डीएड संस्थानों को मान्यता नहीं देने को कहा है।
प्रदेश में नौकरी और छात्रों के बीच बढ़ते अंतर के कारण पिछले चार साल से नए डीएड संस्थानों को मान्यता नहीं दी जा रही। स्कूलों में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में डीएड युवाओं को ही शामिल किया जाता है। प्रदेश में वर्ष 12 से शिक्षा विभाग में केवल प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती हुई, जबकि हर साल हजार 600 छात्र अध्यापक कोर्स कर इन संस्थानों से निकल रहे हैं। ऐसे में प्रदेश में डीएड पास बेरोजगार युवाओं की फौज लगातार बढ़ती गई और वर्तमान में यह आंकड़ा लाखों में है। छात्रों और नौकरियों के अनुपात में भारी अंतर को देखते हुए विभाग ने नए संस्थानों पर रोक को जारी रखने का फैसला लेना ही उचित समझा। प्रदेश में फिलहाल 364 डीएड संस्थान हैं। इनमें से 325 स्ववित्त पोषित, 25 सरकारी और 14 स्ववित्त पोषित (अल्पसंख्यक) हैं। मौलिक शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) द्वारा एनसीटीई के लिखे पत्र के मुताबिक वर्ष 17-18 और 18-19 में नए संस्थानों को मान्यता या सीटें बढ़ाने के आवेदनों पर विचार न किया जाए।

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