डबवाली : जिला शिक्षा अधिकारी यज्ञदत वर्मा ने कहा कि सिरसा में बीस फीसद
शिक्षक ऐसे हैं, जो बेइमान, धोखेबाज, निकम्मे तथा कामचोर हैं। जिनका कार्य
केवल स्कूलों में तालाबंदी या फिर शिकायतें करने तक सीमित है। अचरज की बात
तो यह है कि ऐसे शिक्षकों ने काम करने वाले 80 फीसद शिक्षकों को अपने पीछे
लगा रखा है। हालात यह हैं कि बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिल रही।
रिपोर्ट बताती है कि तीसरी क्लास में पढऩे वाले बच्चे को पहली की बात नहीं
आती तो पांचवीं क्लास में पढऩे वाला बच्चा तीसरी की बात नहीं समझ सकता।
ऐसे शिक्षकों से दूरी बनाकर काम करें। अन्यथा सिस्टम इतना खराब हो चुका है
कि आने वाले समय में आप पर प्राइवेट मैनेजमेंट काम करेगी।
वे सोमवार को
कॉलानी रोड स्थित बीएड कॉलेज में खंड डबवाली के शिक्षकों को संबोधित कर रहे
थे। शिक्षा विभाग की ओर से क्वालिटी एजुकेशन पर वर्कशॉप आयोजित की गई थी।
जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि जिला में कुल 840 सरकारी विद्यालय हैं।
जिसमें से 524 प्राइमरी तथा 125 मिडिल हैं। 143 जेबीटी शिक्षकों की कमी है।
छह विद्यालय ऐसे हैं, जिसमें जीरो टीचर है। इसके बावजूद डेपूटेशन के जरिए
काम चलाया जा रहा है। वर्मा के अनुसार जनसंख्या कंट्रोल करने के लिए हमने
कम बच्चे पैदा करने शुरु कर दिए। वे बच्चे स्मार्ट हैं। लेकिन हमारे
शिक्षकों को पढ़ाने का तरीका नहीं आता। तभी तो बच्चे सरकारी स्कूलों से
तौबा कर रहे हैं। रिकॉर्ड बताता है कि पिछली बार 27 लाख बच्चों ने प्राइवेट
स्कूलों में एडमिशन लिया था, जबकि 22 लाख बच्चे सरकारी स्कूलों में
पहुंचे। उससे पिछली बार स्थिति बराबर रही। सरकारी तथा निजी स्कूलों में
25-25 लाख बच्चों ने एडमिशन लिया था। वर्ष 2014-15 में स्थिति यह थी कि 27
लाख बच्चे सरकारी स्कूल में पहुंचे थे, 22 लाख बच्चे निजी स्कूलों में
पहुंचे थे। तीन सालों में स्थिति इतनी खराब हो
गई कि हम एजूकेशन में पिछड़ते-पिछड़ते नामांकन में भी पिछड़ गए हैं। इस
अवसर पर डीईईओ संत कुमार बिश्नोई, बीईओ बलजिंद्र सिंह भंगू, बीईईओ नरेश
सिंगला मौजूद थे। मंच का संचालन हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के सचिव
गुरमीत सिंह ने किया।
840 में से सिर्फ 3
स्कूल ही अच्छे
डीईओ ने कहा कि उच्च अधिकारियों के साथ बैठक में बड़े शर्म
के साथ कहना पड़ता है कि जिला सिरसा में सभी 840 स्कूलों में महज धर्मपुरा,
डबवाली तथा नेजाडेला खुर्द के स्कूल ही अच्छे हैं। किसी अन्य स्कूल को
काबिलेतारीफ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता हूं।
मिड-डे मील में
होती
है गड़बड़ी
शिक्षकों से सीधा संवाद करते हुए यज्ञदत वर्मा ने कहा कि जब
डेटा ऑनलाइन हुआ तो 4 लाख बोगस स्टूडेंट मिले। जो क्लास में नहीं आते थे,
फिर भी मिड-डे मील में उनकी हाजिरी लगती थी। मैं अब भी दावे से कह सकता हूं
कि जिला सिरसा में 20 हजार बच्चे बोगस हैं। ऐसा इसलिए है कि मिड-डे मील
में गड़बड़ी करके एक ही स्कूल में प्राथमिक, मिडिल तथा हाई स्कूल हेड को
अपने कमरे चमकाने होते हैं। बेशक बच्चों को कमरे मिलें या ना मिलें।
मोबाइल
स्विच ऑफ करवाए
डीईओ ने शिक्षकों को संबोधित करने से पहले उनके मोबाइल
स्विच ऑफ करवा दिए। उन्होंने साफ कहा कि जो बच्चा लगातार सात या दस दिन
नहीं आता तो उसका नाम स्कूल से काट दिया जाए। उन्होंने शिक्षकों को बच्चों
को रट्टा लगाने की अपेक्षा पढ़ाने की सलाह दी। प्रॉजेक्ट बेस्ड लर्निंग के
लिए खुद को तैयार करने के लिए प्रेरित किया।
"करीब 80 फीसद टीचर
काम करने वाले हैं। शिक्षा मंत्री या महकमे के अधिकारियों तक शिकायत होती
है कि टीचर पढ़ाते नहीं। ऐसे में महकमे को मालूम है कि कौन नहीं पढ़ा रहा।
उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। जिला में करीब 44 फीसद स्टाफ नहीं है। जिसमें
साइंस, मैथ लेक्चरर शामिल हैं। हालात यह हैं कि शिक्षकों को पढ़ाने से
ज्यादा डायरी लिखना जरुरी है। सर्टिफिकेट देना जरूरी है।"-- बूटा सिंह, जिला
प्रधान, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ, सिरसा
"वर्तमान हालात से शिक्षा
विभाग बंद होने की कगार पर पहुंच गया है। वे प्राइमरी स्कूलों से स्थिति
पूछ सकते हैं। यहां पांचवी में 50 बच्चे पास होते थे, 6वीं में महज 10-15
का एडमिशन हो रहा है"-- सुरजीत सिंह मान, रिटायर्ड ¨प्रसिपल1
"सीएम से वायदा
किया है कि इस बार सरकारी स्कूलों में 10 फीसद बच्चों की बढ़ोतरी होगी। साथ
में उन्हें क्वालिटी एजुकेशन दी जाएगी। काम न करने वाले शिक्षकों के खिलाफ
कड़ी कार्रवाई होगी।"--यज्ञदत वर्मा, डीईओ, सिरसा
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