दक्षिणी दिल्ली : अब ओपन लर्निग के छात्रों की ग्रेजुएशन की डिग्री पर
पत्रचार (कॉरेसपोंडेंस) पास लिखा जाएगा। यह नियम यूजीसी के वर्ष 2016 में
जारी नोटिफिकेशन के तहत लागू होना है। इसका पत्रचार के छात्रों ने विरोध
किया है। क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) के नेता शहनवाज ने बताया कि
लगभग सभी विश्वविद्यालयों में रेगुलर के साथ-साथ ओपन से पढ़ाई करवाई जा रही
है। लाखों बच्चे पढ़ रहे हैं। इसलिए यह नहीं लिखा जाना चाहिए।
सीवाईएसएस
(छात्र युवा संगठन समिति) के उपाध्यक्ष अख्दाश ने कहा कि ग्रेजुएशन पहला
सर्टिफिकेट होता है जो कोई भी एंपलायर देखता है। डिग्री पर ओपन या पत्रचार
लिखे जाने से नौकरी के अवसर युवाओं को कम मिलेंगे।
लाखों विद्यार्थी होंगे
प्रभावित: एक अनुमान के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में करीब पांच
लाख विद्यार्थी एसओएल (स्कूल ऑफ ओपन लर्निग) से पढ़ रहे हैं। जामिया में
इनकी संख्या डेढ़ लाख है। यह सभी विद्यार्थी अधिकांश वह है जो कम प्रतिशत
अंक, आर्थिक स्थिति बेहतर आदि जैसे कारणों के चलते अपनी पढ़ाई इस तरह से
पूरी कर रहे हैं। छात्र संगठनों का कहना है कि पिछले कुछ समय से जेएनयू
द्वारा एमफिल का मुद्दा उठाया गया है। लेकिन साथ ही यह मुद्दा भी लिखित में
है। ओपन लर्निग वाले छात्रों की अनदेखी की गई है। इसके बाद कई संगठन अब इस
विषय पर भी बात करने के लिए आगे आ रहे हैं।
साक्षात्कार से पहले पूछते है रेगुलर हो या ओपन
जॉब एक्सपर्ट सौरभ ने
कहा कि कई कंपनियां ओपन लर्निग को यह मानकर नकार देती हैं कि इस तरह की
पढ़ाई में विद्यार्थी गंभीर नहीं होते। साथ ही पढ़ाई का स्तर रेगुलर वालों
की तरह नहीं होता। जिस वजह से रेगुलर वाले अभ्यर्थी को तवज्जो मिलती है।
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