.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

*** Supreme Court Dismissed SLP of 719 Guest Teachers of Haryana *** यूजीसी नहीं सीबीएसई आयोजित कराएगी नेट *** नौकरी या दाखिला, सत्यापित प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं *** डीडी पावर के लिए हाईकोर्ट पहुंचे मिडिल हेडमास्टर *** बच्चों को फेल न करने की पॉलिसी सही नहीं : शिक्षा मंत्री ***

Monday, 17 April 2017

134 ए: इस बार 47 हजार ने ही किया आवेदन, 43 हजार देने पहुंचे परीक्षा, पिछले साल से 10 हजार कम

** कल सकता है रिजल्ट, पिछली बार 28 हजार पास हुए, दाखिला 17 हजार को मिला।
** एनसीईआरटी से आया पेपर, किसी को लगा टफ, किसी को आसान 
पानीपत : शिक्षा नियमावली के नियम 134ए में फ्री दाखिले के लिए इस बार पिछली बार से भी कम आवेदन हुए। कुल 47 हजार आवेदकों में से 43 हजार ही परीक्षा देने पहुंचे। सोमवार को मार्किंग होगी और संभवत मंगलवार को संभवत नतीजे घोषित होंगे। 20 अप्रैल से दाखिले शुरू होने हैं। पिछले साल 55 हजार ने आवेदन किया था। 
28 हजार पास हुए थे लेकिन दाखिला करीब 17 हजार को ही मिल पाया था। टेस्ट पास करने के बावजूद दाखिला मिल पाना इस बार रुझान घटने का बड़ा कारण माना जा रहा है। इसके अलावा शेड्यूल भी लेट है। स्कूलों में 1 अप्रैल से कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। निशुल्क दाखिले के लिए टेस्ट में 55 फीसदी अंक (मेधावी श्रेणी) की शर्त हट पाना भी आवेदन कम होने की वजह मानी जा रही है। इसके अलावा स्कूलों ने समय पर खाली सीटें बताने में आनाकानी। दो लाख रुपए तक का आय प्रमाण पत्र बनवाने में भी दिक्कतें आईं। 
सभी कक्षाओं के लिए पेपर भिवानी बोर्ड से प्रिंट होकर आए थे और सभी पेपर एससीईआरटी एनसीईआरटी की पुस्तकों के आधार पर थे। जिन बच्चों ने अपनी पिछली कक्षाओं में एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ रखी हैं उनका कहना था कि पेपर सिलेबस से आया था और सामान्य था। लेकिन जो बच्चे पहले से निजी स्कूलों में पढ़े हुए हैं और उन्होंने प्राइवेट प्रकाशकों की पुस्तकें पढ़ी हुई हैं उनका कहना था कि पेपर काफी कठिन था और कुछ प्रश्न सिलेबस से बाहर के थे। जानकारों के मुताबिक परीक्षा में पास अंकों यानी 33 प्रतिशत के आधार पर स्कूल अलॉट होने होते तो पेपर को आसान कह सकते थे लेकिन स्कूल 55 प्रतिशत अंक के आधार पर अलॉट होने हैं, इसलिए बहुत कम बच्चे इतने अंक प्राप्त कर पाएंगे। 
परीक्षा का समय 3 घंटे, कई बच्चे सो गए 

134ए के तहत 505 बच्चे प्रवेश परीक्षा देने पहुंचे। कई कमरों में बच्चे पेपर के दौरान डेस्क पर सिर रखकर सुस्ताते नजर आए। ड्यूटी दे रहीं शिक्षक बोलीं-बच्चों को जितना पेपर आता था उतना वे एक घंटे में कर चुके थे। लेकिन तीन घंटे परीक्षा का समय था और उससे पहले बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। 


No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.