दिल्ली : केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी अकेली
या परित्यक्ता माताओं के दर्द को साझा करने के लिए एक बार फिर आगे आई हैं।
उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर छात्रों
के डिग्री प्रमाण पत्र में पिता के नाम की अनिवार्यता खत्म करने का आग्रह
किया है। केंद्रीय मंत्री ने नियमों में संशोधन कर इस समस्या का हल निकालने
का अनुरोध किया है।
जावड़ेकर को लिखे पत्र में मेनका का कहना है, ‘पति से
अलग रह रहीं कई महिलाओं ने मुझसे संपर्क किया है। उन्हें पति के नाम के
बगैर अपने बच्चे का डिग्री प्रमाण पत्र हासिल करने में कठिनाइयों का सामना
करना पड़ रहा है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘शादी का टूटना अथवा पति से अलग रहना
आज के दौर की कटु सच्चाई है। लिहाजा हमें अकेली मां के दर्द को समझना होगा।
उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए नियमों में बदलाव करना वक्त की मांग
है।’
ध्यान रहे कि पिछले वर्ष भी मेनका गांधी की पहल पर ही विदेश मंत्री
सुषमा स्वराज ने पासपोर्ट आवेदन पत्र पर पिता के नाम की अनिवार्यता खत्म
की। सुषमा के निर्देश पर विदेश मंत्रलय ने पासपोर्ट नियमों में संशोधन कर
आवेदन पत्र पर माता अथवा पिता में से किसी एक का नाम होने का प्रावधान
किया। इसके लिए मेनका गांधी ने अकेली मां प्रियंका गुप्ता की उस ऑनलाइन
याचिका का संज्ञान लिया था, जिसमें पासपोर्ट आवेदन पत्र से पिता के नाम की
अनिवार्यता खत्म करने का आग्रह किया गया था।
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