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Saturday, 8 April 2017

832 सहायक मैनेजरों की री-ज्वाइनिंग

** स्कूलों का डाटा-ऑनलाइन करने के साथ बायोमीट्रिक हाजिरी पर निगरानी
अंबाला शहर : लंबी जद्दोजहद के बाद प्रदेशभर के ों में कार्यरत स्कूल सहायक मैनेजर को फिर से री-ज्वाइनिंग करा दी गई है। वर्ष 2013 से लेकर इनकी यह तीसरी बार री-ज्वाइनिंग है। इससे पहले अक्टूबर माह में इनकी री-ज्वाइनिंग कर इन्हें स्कूल अलॉट करने का जिम्मा जिला स्तर पर अधिकारियों को सौंप दिया गया था। इसी का प्रदेशभर के ज्यादातर सहायक मैनेजर विरोध कर रहे थे। मामला निदेशालय के पास पहुंचा और निदेशालय ने इन सभी से ऑनलाइन आवेदन व उनकी रैंकिंग मांगी। इसी आधार पर प्रदेशभर के ों के लिए इनकी री-ज्वाइनिंग की गई। प्रदेश में इनके 1437 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 832 पर यह काम कर रहे हैं।
दरअसल, केंद्र व राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से प्रदेश में ों में समस्त डाटा को ऑनलाइन करने के लिए वर्ष 2013 में इन्फार्मेशन कम ऑफिस कम लाइब्रेरी मैनेजर (आइओएलएम) नियुक्त किए गए। बाद में प्रदेश सरकार ने इन्हें अपने अधीन लेकर इनका नाम स्कूल इंफार्मेशन मैनेजर (सिम) कर दिया। जून 2016 में इन्हें हटा दिया गया, लेकिन अक्टूबर 2016 में री-ज्वाइनिंग कराकर इनका नाम स्कूल सहायक मैनेजर रखा गया। अक्टूबर की री-ज्वाइनिंग में इनकी ट्रांसफर का जिम्मा जिला स्तर पर डीपीसी को दिया गया था। आरोप है कि इस दौरान चहेतों को नजदीकी स्टेशन अलॉट कर दिए गए थे।
"दरअसल, पहले अक्टूबर में जब इनकी री-ज्वाइनिंग हुई थी तब निदेशालय व्यस्तता के कारण इनकी ट्रांसफर खुद नहीं कर पाया था और जिम्मा जिला स्तर पर दे दिया था। अब वरिष्ठता के आधार पर री-ज्वानिंग कराई गई है।"-- रविंदर कुमार, डीपीसी, अंबाला।
25 से 29 मार्च के बीच मांगे गए थे ऑनलाइन आवेदन 
सभी सहायक मैनेजर से निदेशालय ने 25 से 29 अप्रैल तक ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। इसमें उनकी वरिष्ठता व चयन के समय टेस्ट के बाद दी गई रैंकिंग के आधार पर सभी की री-ज्वाइनिंग कराते हुए उनका ट्रांसफर कर स्कूलों में भेज दिया गया है।
सहायक मैनेजरों का काम
स्कूलों के समस्त डाटा को एमआइएस पोर्टल पर अपडेट करना, बायोमीट्रिक हाजिरी से जुड़ा समस्त कार्य, ऑनलाइन एडमिशन, आनलाइन स्कूल ली¨वग सर्टिफिकेट तैयार करना, मासिक टेस्ट का परिणाम अपलोड करना, डायरेक्टर से आने वाली मेल का जवाब भेजना व कुछ स्कूलों में तो वेतन स्लिप तैयार कर ट्रेजरी भेजने का काम भी यही करते हैं। प्रत्येक जिले के सरकारी स्कूलों को कलस्टरों में बांटा गया है। एक कलस्टर में कम से कम सात स्कूल हैं जहां एक सहायक मैनेजर नियुक्त है।

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