दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रलय विश्वविद्यालयों व उच्चतर
शिक्षण संस्थानों में साझा हिंदी शिक्षण योजना को लेकर जल्दी नई नीति
बनाने पर विचार कर रहा है। हर विश्वविद्यालय व संस्थान में हिंदी का विभाग
अनिवार्य किया जा सकता है।
राजभाषा के विकास के लिए बनी संसदीय समिति की
सिफारिशों पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मुहर लगने के बाद इस दिशा में
काम शुरू कर दिया गया है। हालांकि हिंदी के विकास को लेकर शुरू की गई
कवायद का विरोध भी शुरू होने लगा है। कई जगहों से राष्ट्रपति को इस बारे
में छात्रसंघों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया भी भेजी गई है। समिति की
सिफारिश है कि गैर हिंदी राज्यों में परीक्षा व साक्षात्कार में हिंदी को
एक विकल्प के तौर पर शामिल किया जाए। राष्ट्रपति ने खुद भी माना है कि
उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में कुछ स्वायत्ता देने के लिए केंद्र ने कानून
बनाए हैं।
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