** हरियाणा के सोनीपत में पहलवान योगेश्वर दत्त के गांव भैंसवाल कलां में अनूठी पहल
** पंचायत अपने स्तर से शिक्षकों को देगी वेतन, गांववाले भी चंदा देने काे तैयार, गांव के युवाओं को भी लगाया जाएगा पढ़ाने में
** टीचरों और बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते अभिभावक कतराने लगे थे, अब ग्रामीण अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में नहीं भेजने पर हुए राजी
पानीपत : शिक्षकों की कमी के कारण अिभभावकों ने
बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने से मना किया तो पंचायत ने पहल की है।
गांववालों के साथ मिलकर समस्याओं को दूर करने का फैसला किया ताकि बच्चे
प्राइवेट की बजाय सरकारी स्कूल में पढ़ें। पंचायत में तय किया गया कि सरकारी
टीचर नहीं मिलते हैं तो पढ़े-लिखे युवक-युवतियों को अध्यापन कार्य में
लगाया जाएगा, उन्हें तनख्वाह पंचायत देगी। अंग्रेजी मीडियम से भी पढ़ाई
होगी। शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए मॉनिटरिंग कमेटी भी बनी है। अब
ग्रामीण बच्चों को गांव के ही स्कूल में पढ़ाने को राजी हो गए हैं। शुक्रवार
को पंचायत प्रतिनिधि, कमेटी के सदस्य और शिक्षकों ने घर-घर पहुंचकर
रजिस्ट्रेशन शुरू किया। पहले दिन 85 बच्चों के नाम दर्ज किए।
बात हो
रही है सोनीपत के गांव भैंसवाल कलां की। ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान
योगेश्वर दत्त भी इसी गांव के हैं। दरअसल, बीस हजार से ज्यादा की आबादी
वाले इस गांव में भैंसवाल कलां बवाला और भैंसवाल कलां मिट्ठन के नाम से दो
पंचायतें हैं। गर्ल्स और ब्वॉयज के सीनियर सेकंडरी और एक प्राइमरी स्कूल
है। तीनों स्कूलों में करीब 570 छात्र-छात्राएं पढ़ते थे। लेकिन शिक्षकों की
कमी के कारण नए सत्र में दाखिले तो हुए ही नहीं, अलबत्ता सैकड़ों अभिभावकों
ने अपने बच्चों को इनमें पढ़ाने से इनकार कर दिया। वे अपने बच्चों को इन
स्कूलों से निकालने के लिए आने लगे। इससे निपटने के लिए पंचायत ने अपने
स्तर पर कदम उठाया है। गांववालों के साथ बैठक की। सामूहिक निर्णय लिया कि गांव के बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाए जाएंगे।
बैठक
के दौरान के कुछ लोगों ने समस्या बताई कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में
बच्चों को सरकारी स्कूलों में कैसे पढ़ाएं। एक तो शिक्षकों और बुनियादी
सुविधाओं की कमी दूसरे अंग्रेजी माध्यम भी नहीं है। पंचायत ने ब्वॉयज
सीनियर सेकंडरी स्कूल कार्यवाहक प्रिंसिपल राजेंद्र सिंह को मौके पर
बुलाया। समस्या उनके सामने भी रखी गई। इस पर सिंह ने कहा कि ज्यादातर स्टाफ
अंग्रेजी पढ़ाने में सक्षम है, लेकिन शिक्षकों की कमी खत्म करनी होगी। इस
पर तय किया गयाा कि शिक्षा विभाग की ओर से सक्षम टीचज नहीं मिले तो गांव के
पढ़े-लिखे युवाओं को स्कूल में पढ़ाने को लगाया जाएगा। पंचायत इनका खर्च वहन
करेगी, यदि फिर भी जरूरत पड़ी तो गांव के लोग इसके लिए चंदा करेंगे। उधर,
जिला शिक्षा अधिकारी ने भी आश्वासन दिया है कि तीनों स्कूलों में जो भी
समस्याएं हैं, उसे दूर किया जाएगा, लेकिन गांववालों की अपने स्तर पर तैयारी
पूरी है। इस पूरी कवायद में बवााल की सरपंच मनजीता और मिट्ठन के सरपंच
राजेश मलिक ने सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। वहीं कार्यवाहक प्रिंसिपल
राजेंद्र सिंह का कहना है कि स्टाफ अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने में सक्षम है।
हिंदी और अंग्रेजी के दो सेक्शन बना दिए जाएंगे। ग्रामीणों की अच्छी पहल
है। स्टाफ उनके साथ है।
6 कक्षाओं के लिए सिर्फ 4 टीचर, दोनों स्कूलों में प्रिंसिपल के पद खाली
गांव
के गर्ल्स सीनियर सेकंडरी में कक्षा 6 से 8 तक में एक तो 9 से 12 में केवल
3 टीचर हैं। टीचरों की कमी के कारण ही पिछले सत्र में इस स्कूल में
विज्ञान संकाय को खत्म किया गया। प्राइमरी सेक्शनों में भी टीचरों की काफी
कमी है। दोनों स्कूलों में प्रिंसिपलों के पद भी रिक्त हैं।
पहलवान योगेश्वर का ट्वीट
ग्रामीणों
के इस फैसले पर पहलवान योगेश्वर दत्त ने ट्वीट किया है। उन्होंने अपने
ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि स्कूल में टीचर्स अच्छे होंगे तभी ये फैसला सही
है, नहीं तो बहुत से सरकारी स्कूल्स में गरीब बच्चों का भविष्य खराब ही हो
रहा है।
शिक्षा मंत्री बोले, सम्मानित होगी पंचायत :
शिक्षा
मंत्री रामबिलास शर्मा ने घोषणा की है कि जो भी ग्राम पंचायत अपने गांव के
सभी बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाएगी, उसे राज्य सरकार की ओर से सम्ानित
किया जाएगा। उन्होंने कहा भैंसवाल पंचायत का फैसला सराहनीय है। यदि अन्य
गांव की पंचायतें भी ऐसा निर्णय लेती हैं तो यह अच्छा कदम होगा। भैंसवाल
पंचायत को सम्मानित किया जाएगा।
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