गोहाना : पद एक जैसे जिला काडर के हैं। इसके बावजूद ओ.टी. संस्कृत को मान्य कर दिया
गया, लेकिन हिन्दी शिक्षकों से फिर से भेदभाव करते हुए ओ.टी. हिन्दी को
छोड़ दिया गया। ओ.टी. संस्कृत मान्य तो ओ.टी. हिन्दी क्यों नहीं? सोमवार को
यह प्रश्न हरियाणा राजकीय हिन्दी अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष कृष्ण
निर्माण ने किया।
उन्होंने स्मरण करवाया
कि ओ.टी. संस्कृत की हो या हिन्दी की, दोनों को स्वयं शिक्षा विभाग करवाता
है। दोनों का पाठ्यक्रम भी एक जैसा है और समयावधि भी। इसके बावजूद ओ.टी.
संस्कृत को मान्य कर दिया गया है, पर ओ.टी. हिन्दी को नहीं। इस मांग को
लेकर हिन्दी अध्यापक राष्ट्रपति तक को ज्ञापन दे चुके हैं, मुख्यमंत्री,
शिक्षा मंत्री सहित सब आला अफसरों के दरवाजे खटखटा चुके हैं।
कृष्ण निर्माण ने रोष व्यक्त किया कि हिन्दी अध्यापकों से बार-बार भेदभाव
और सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। पहले अंतर जिला तबादले करने में दोहरे
मापदंड अपनाए गए। फिर नए वेतनमान देने में संस्कृत अध्यापकों को कृतज्ञ कर
दिया गया, पर हिन्दी अध्यापकों को छोड़ दिया गया। अब 2012 के नियमों में
संशोधन करते हुए पुन: ओ.टी. संस्कृत को मान्य करते हुए ओ.टी. हिन्दी को
उपेक्षित कर दिया गया है।
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