इन विषयों को पंचायती राज संस्थाओं के अधीन का प्रावधान
कृषि,भूमि विकास, चकबंदी, लघु सिंचाई, जल प्रबंधन, पशु पालन और डेरी उद्योग, मछली पालन, सामाजिक वानिकी और फॉर्म वानिकी, लघु वन उपज, लघु उद्योग, जिनके तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी हैं, खादी, ग्रामोद्योग और कुटीर उद्योग, पेयजल, ग्रामीण सड़कें, पेयजल, शिक्षा, प्रौढ़ और अनौपचारिक शिक्षा, बाजार और मेले, स्वास्थ्य और स्वच्छता, परिवार कल्याण, महिला और बाल विकास, राशन वितरण प्रणाली।
संविधान में पंचायतों को 29 विषय देने का प्रावधान, राज्य पर निर्भर
प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं को अधिकार देने के लिए लगातार मंथन किया जा रहा है। संविधान के भाग-11 और सातवीं अनुसूची(अनुच्छेद-246) के तहत त्रिस्तरीय पंचायतों को संविधान की 11वीं अनुसूची में 29 काम दिए हुए हैं। लेकिन साथ ही इसमें यह भी जोड़ा गया है कि कितने काम पंचायतों को देने हैं, यह अधिकार राज्य सरकार का है। हरियाणा में दस महकमों के आदेश तो वर्षों पूर्व जारी किए गए थे लेकिन लागू अभी तक नहीं हुए हैं। यह भी बता दें कि कर्नाटक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सभी 29 कार्य पंचायतों को हस्तांतरित हैं। जबकि गोवा में 18 काम पंचायतों और 6 काम जिला परिषदों को दिए हुए हैं। हमारे पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में 29 काम पंचायतों को दिए हुए हैं। राजस्थान में पांच महकमे पूरी तरह पंचायती राज के अधीन किए हुए हैं।
जल्द देंगे जिला परिषदों को अधिकार: धनखड़
पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि आबादी के हिसाब से मई आखिर तक जिला परिषदों को बजट दे दिया जाएगा। कुछ महकमे भी इनके अधीन किए जाएंगे। जल्द इसे लेकर मीटिंग कर रहे हैं।
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