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Saturday 14 March 2015

पढ़ा तो आ-इ पेपर में गई कविता, टीचर भी हो गए हैरान

** ये कैसी परीक्षा : पहली क्लास के बच्चों से निबंध कविता लिखने के लिए कहा 
बिलासपुर : प्रदेश में सरकार क्‍या बदली। शिक्षा विभाग अब ज्यादा ही एडवांस हो गया है। पहली क्लास के बच्चों को पढाया तो गया आ। मगर परीक्षा में उनसे कविता लिखना, मित्रों को पत्र, मेले का निबंध, बायाेडाटा तैयार करने जैसे सवाल पूछे जा रहे हैं। पेपर को बच्‍चे हल करना तो दूर, पढ़ना भी नामुमकिन है। पेपर देखकर टीचर भी हैरान परेशान हैं। उनका कहना है कि इस तरह के सवाल को कक्षा आठ के बच्‍चों से पूछे जाते हैं। सर यह पेपर किसका है। यह तो पढ़ा भी नहीं जा रहा। परीक्षा रुम इस तरह के सवाल बच्चे टीचर से करते रहे। 
शुक्रवार को प्राइमरी कक्षाओं की हिंदी विषय की परीक्षा हुई। पहली कक्षा के बच्चों से कविता लिखने को कहा गया। जिसमें सप्ताह के सभी दिन शामिल किए जाएं। यह प्रश्न पांच अंक का था। वहीं मिलान करने वाला प्रश्न तो बड़ा-बड़ों के पसीने छुटाने वाला था। इस प्रश्न को अधिकतर बच्चे हल करना तो दूर पढ़ भी नहीं पाए। 
सिलेबस के बाहर की बातें पूछी: 
पांचवीं तक की परीक्षा में ऐसे प्रश्न पूछे गए जो उनके सिलेबस में ही नहीं है। यहां तक कि पहली कक्षा के बच्चों से व्याकरण के सवाल पूछे गए। पेपर लेने वाले शिक्षकों का कहना था कि यह तो उन्हें पढ़ाया ही नहीं गया। उनका कहना है कि जो सिलेबस बच्चों को पढ़ाया गया उसमें से तो केवल 30 प्रतिशत प्रश्न ही पूछे गए। पेपर को देखने से ऐसा लगता है कि यह किसी प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्नपत्र है। 
अखबार के विज्ञापन भी छपे पेपर में : 
हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के जिला सचिव हरपाल सिंह बैंस का कहना है कि अखबार का विज्ञापन देख कर उसमें से प्रश्नों के उत्तर देने थे। जबकि ऐसी कोई भी किताब प्राइमरी के सिलेबस में नहीं है जिसमें ऐसे प्रश्न हल करने या सिखाने की बात हो। ऐसे में बच्चे इन प्रश्नों के उत्तर कैसे दे सकते हैं। इसके अलावा अपठित गद्यांश भी दिया गया। जिसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर देने थे। इस प्रश्न को तो पांचवीं कक्षा के छात्र भी हल नहीं कर पाए। वो दिगर बात है कि शिक्षकों ने अपनी साख बचाने के लिए अधिकतर प्रश्नों का उत्तर इशारे से बता दिया। 
ग्रेड दें या परसेंटेज बना संशय 
विभाग की ओर से निर्देश दिए गए है कि ऑन स्पाट मार्किंग की जाए। लेकिन इसके लिए कोई भी निर्देश नहीं दिए गए है। शिक्षकों को यह भी नहीं बताया कि रिजल्ट परसेंटेज में दिया जाए या फिर ग्रेड दिया जाए। कितने अंक पाने पर क्या ग्रेड दें कुछ भी नहीं बताया गया। कुछ शिक्षकों ने तो यह भी बताया कि विभाग की ओर से उन्हें तो डेटशीट दी गई और ही पेपर का समय बताया गया। उन्हें जितनी भी जानकारी मिली वह केवल पेपर के माध्यम से ही मिली। शिक्षकों में इस बात को लेकर भी रोष है कि हल किया गया प्रश्न पत्र भी नहीं भेजा गया। शिक्षकों के अनुसार कुछ अधिकतर प्रश्न संशय वाले थे। 
व्याकरण की पुस्तक ही नहीं 
शिक्षकों ने बताया कि पेपर में अधिकतर प्रश्न व्याकरण संबंधी पूछे गए। जबकि बच्चों के लिए शिक्षा विभाग की ओर से व्याकरण की कोई भी किताब नहीं लगाई गई है। ऐसे में जब बच्चों को जो चीज पढ़ाई ही नहीं गई तो उसके पूछने का क्या लाभ। शिक्षकों ने बताया कि पहले हर क्लास के लिए अलग से व्याकरण की पुस्तक एनसीईआरटी की ओर से लगाई जाती थी। उसके बाद प्राइमरी के लिए एक मिडल के लिए अलग व्याकरण की पुस्तक बनाई गई। लेकिन पिछले दस साल से तो व्याकरण की कोई किताब ही नहीं है।                                    db

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