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Tuesday 2 June 2015

मुफ्त दाखिला न देने वाले स्कूलों की मान्यता होगी रद

** डीईओ को 10 दिन के भीतर केस बनाने का निर्देश 
चंडीगढ़ : गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिला नहीं देने वाले निजी स्कूल संचालक शिक्षा विभाग के निशाने पर आ गए हैं। कक्षा नौ से 12 तक के बच्चों को दाखिला देने से मना करने वाले स्कूल संचालकों की मान्यता रद होगी। सेकेंडरी शिक्षा महानिदेशक ने जिला शिक्षा अधिकारियों को ऐसे स्कूल संचालकों की मान्यता रद करने संबंधी प्रस्ताव निदेशालय भिजवाने के निर्देश दिए हैं। 
निजी स्कूल संचालक कक्षा नौ से 12 तक के उन बच्चों को अपने स्कूलों में मुफ्त दाखिला देने से मना कर रहे हैं, जिनके नाम 1 मई को ड्रॉ में घोषित किए गए थे। ऐसे विद्यार्थियों की संख्या करीब 20 हजार है। हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमों के तहत दो लाख रुपये तक की आय वाले अभिभावकों के बच्चे गरीब की श्रेणी में आते हैं और उन्हें निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिला लेने का अधिकार है। 
मौलिक शिक्षा महानिदेशक एमएल कौशिक ने पंचकूला निदेशालय में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से दाखिलों की स्टेटस रिपोर्ट हासिल की। इन रिपोर्ट के मुताबिक करीब 70 फीसद दाखिले हो चुके हैं। 30 फीसद छात्रों को स्कूलों की मनमानी और अड़ियल रवैये के चलते दाखिले नहीं मिल पा रहे हैं। बैठक में दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के संयोजक सत्यवीर सिंह हुड्डा ने कहा कि निजी स्कूल संचालकों पर विभाग का कोई खौफ नहीं है और वे मनमर्जी पर उतर आए हैं। 
एक माह बीत जाने के बावजूद अभी तक बच्चों के दाखिले नहीं होने से साफ संदेश जा रहा कि सरकार ही नहीं चाहती कि गरीब का बच्चा निजी स्कूलों में पढ़ सके। सेकेंडरी शिक्षा महानिदेशक ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए कि अगले 10 दिन के भीतर दाखिला नहीं देने वाले निजी स्कूल संचालकों की मान्यता रद करने की संबंधी बनाकर भेजे जाएं। 
पहली से आठवीं तक के 65 हजार बच्चों का भविष्य दांव पर 
कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के ड्रॉ पर शिक्षा विभाग ने रोक लगा रखी है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश हैं कि इन बच्चों की फीस निजी स्कूल संचालकों के पास राज्य सरकार को जमा करानी होगी। यह फीस करीब 250 करोड़ रुपये बैठती है, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने बच्चों के ड्रॉ घोषित नहीं किए। एक अभिभावक द्वारा दाखिल अवमानना मामले में सरकार को 17 जून को जवाब देना है। शिक्षा विभाग हालांकि इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है, लेकिन इस कारण कक्षा एक से आठ तक करीब 65 हजार बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।                                                           dj

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