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Wednesday 20 April 2016

3 घंटे में झुकी सरकार, पीएफ किसी भी समय निकाल सकेंगे

** 58 साल से पहले नियोक्ता के अंशदान की निकासी पर लगनी थी रोक 
** हिंसक प्रदर्शन देख अधिसूचना वापस ली
नई दिल्ली : बेंगलुरू में कर्मचारियों के हिंसक विरोध के बाद सरकार ने पीएफ की रकम निकालने को लेकर सख्त नियमों वाला आदेश मंगलवार को रद्द कर दिया। इसे एक मई से लागू होना था। अधिसूचना रद्द करते हुए सरकार ने पुरानी व्यवस्था ही जारी रखने का एलान किया है। इससे चंद घंटे पहले सरकार ने नए नियमों को लागू करने की समय अवधि दूसरी बार बढ़ाई थी। नए नियमों का देशभर में कर्मचारी विरोध कर रहे थे। बेंगलुरू में तो कपड़ा कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। 
इसके बाद केंद्रीय श्रम राज्यमंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'इस साल 10 फरवरी को जारी अधिसूचना निरस्त कर दी गई है। पुरानी व्यवस्था जारी रहेगी। मैं ईपीएफओ के ट्रस्टी बोर्ड से इस बारे में मंजूरी हासिल कर लूंगा।' बाद में श्रम मंत्रालय ने भी कहा, 'अब कर्मचारी पहले के प्रावधानों की तरह नियोक्ता का 3.67 फीसदी अंशदान सहित पीएफ की पूरी रकम निकाल सकेंगे।' दत्तात्रेय ने कहा, 'ट्रेड यूनियनों के विरोध और उनके आग्रह के कारण आदेश वापस लिया गया है। ट्रेड यूनियन की राय से ही विद्ड्राल के नियम सख्त किए गए थे। अब वे कह रहे हैं तो वापस ले रहे हैं।' इससे पहले मंत्री ने कहा था कि पीएफ विद्ड्राल के नियम कड़े करने की अधिसूचना तीन माह के लिए 31 जुलाई तक स्थगित की गई है। इससे जुड़े पक्षों से चर्चा की जाएगी। 
अब पीएफ से रकम निकालने की पुरानी व्यवस्था लागू रहेगी। पुरानी व्यवस्था में कर्मचारी के 55 साल की उम्र होने पर अपनी जमा राशि का 90 फीसदी पेंशन योजना में निवेश की भी छूट है। इसके अलावा श्रम मंत्रालय ने कहा है कि मकान की खरीदी, गंभीर बीमारी, शादी और बच्चों की व्यावसायिक शिक्षा के लिए कर्मचारी पूरी रकम निकाल सकेंगे। यह प्रस्ताव कानून मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजा है। 
प्रदर्शनकारियों ने बेंगलुरू के हेब्बागोड़ी थाने पर पथराव कर दिया। वहां खड़े वाहनों में आग लगा दी। परिवहन निगम की तीन बसों को आग लगा दी गई। वाहनों पर पथराव किया गया। कई मार्गों पर ट्रैफिक जाम हो गया। एक पुलिस अधिकारी को भीड़ ने घेर लिया। बचाव में उसको हवा में गोलियां चलानी पड़ीं। हिंसक प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े। बेंगलुरू में करीब 12 लाख कपड़ा उद्योग श्रमिक हैं। 
दो बार टला था आदेश, टैक्स प्रावधान भी लेना पड़ा था वापस 
संघ परिवार से जुड़े भारतीय मजदूर संघ सहित कर्मचारी संगठन नए पीएफ नियमों का विरोध कर रहे थे। ऑनलाइन अभियान भी छेड़ा गया था। इसके चलते 10 फरवरी से लागू होने वाला फैसला 30 अप्रैल तक के लिए टल गया। इसके बाद इसे 31 जुलाई तक टाला गया। पीएफ की राशि निकालने पर आयकर के बजट प्रस्ताव को भी सरकार को भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा था। 
इन मुद्दों पर हो रहा था विरोध 
कर्मचारियों के दावों के निपटानके लिए उम्र सीमा 54 से बढ़ाकर 58 कर दी थी। कर्मचारी 58 साल की उम्र में रिटायर होने तक नियोक्ता का अंशदान (वेतन का 3.67%) नहीं निकाल सकते थे। 
अंश धारक दोमाह से अधिक समय तक बेरोजगार रहने के बाद पीएफ से केवल अपना योगदान और उस पर ब्याज ही निकाल सकता था। नियोक्ता का अंशदान परिपक्व होने पर ही उसे मिल सकता था।                                            db

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