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Monday 18 April 2016

एसएस टेट पास बिगाड़ सकते हैं टीजीटी अंग्रेजी का खेल

** जल्द जारी हो सकती है टीजीटी अंग्रेजी की कट आफ 
कैथल : हाल ही में हुई टीजीटी अंग्रेजी के पदों के लिए हुई स्क्रीनिंग परीक्षा में हजारों की संख्या में अयोग्य अभ्यर्थियों ने भी यह परीक्षा दी। ऐसे में ये अभ्यर्थी योग्य अभ्यर्थियों का खेल बिगाड़ सकते हैं। ये हम नहीं बल्कि सूचना के अधिकार के तहत लिए गए आंकड़े कह रहे हैं। इस संबंध में भिवानी के उमेश कुमार ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी को टीजीटी अंग्रेजी के पदों बारे आरटीआई मांगी थी। बोर्ड से मिली सूचना से सारा मंजर साफ हो गया। आंकड़ों के अनुसार अब तक टीजीटी अंग्रेजी की तीन बार परीक्षा हुई 2013, 2014 व 2015। इनमें कुल 2608 अभ्यर्थी पास हुए हैं जबकि हाल ही में टीजीटी अंग्रेजी के लिए हुई स्क्रीनिंग परीक्षा में अभ्यर्थियों की संख्या 6319 तक पहुंच गई। नियमों पर नजर दौड़ाई जाए तो टीजीटी अंग्रेजी के पद के लिए अभ्यर्थी के पास स्नातक में अंग्रेजी इलेक्टिव विषय 50 प्रतिशत अंकों के साथ होना चाहिए और वह टीजीटी अंग्रेजी में टेट पास होना चाहिए। यदि आंकड़ों से यह भी साफ है कि अब तक  जिन 2608 अभ्यर्थियों ने अंग्रेजी में टेट पास किया है उनमें से भी अधिकतर के पास अंग्रेजी इलेक्टिव विषय नहीं है। 
एसएस टीजीटी हुए स्क्रीनिंग में शामिल
सूत्रों के अनुसार हाल ही में हुई टीजीटी अंग्रेजी पद की स्क्रीनिंग में हजारों की संख्या में एसएस टीजीटी टेट वाले शामिल हुए क्योंकि जब टेट पास 2608 हैं तो परीक्षार्थी 6319 कहां से आए। सर्विस रूल 2012 के अनुसार  टीजीटी एसएस वाले उक्त पद के लिए योग्य नहीं हैं। 
एसएस टेट वाले मैरिट में आए तो योग्य को होना पड़ेगा बाहर
अब बात यह है कि यदि टीजीटी अंग्रेजी स्क्रीनिंग में एसएस टेट वाले व बिना अंग्रेजी इलेक्टिव वाले ऊंची मैरिट हासिल कर लेते हैं तो भले ही वह साक्षात्कार के समय बाहर कर दिए जाएं लेकिन ऐसे में अंग्रेजी इलेक्टिव वाले योग्य अभ्यर्थियों का चांस समाप्त होता दिखाई दे रहा है। 
आखिर कौन होगा रखवाला
अंग्रेजी इलेक्टिव विषय वाले अभ्यर्थी शशिभूषण शर्मा, दीपक नरवाना, उमेश, पंकज शर्मा,स्वाति, कृष्ण कुमार व मेघा आदि अपनी इस मांग को लेकर एचएसएससी के चेयरमैन व अन्य उच्चाधिकारियों से मिले हैं लेकिन कोई भी उनकी मांग की ओर ध्यान देने की जहमत नहीं उठा रहा है। अब ऐसे में यदि इन अभ्यर्थियों की कहीं सुनवाई नहीं हुई तो ये मजबूरन अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।                                                

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