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Friday 22 April 2016

किताबों के बिना कैसे होगी पढ़ाई!

कैथल : स्कूलों में नया सत्र शुरू हुए 20 दिन बीत गए हैं लेकिन पुस्तकें अभी तक नहीं पहुंचीं। ऐसे में राज्य के करीब 8 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले 9 लाख बच्चे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। अध्यापक भी असमंजस में हैं। कक्षा एक से पांच की पाठ्य पुस्तकें न मिलने की कहानी एक-दो जिले की नहीं, बल्कि प्रदेश के अधिकतर जिलों की यही स्थिति है।
कैथल, जींद, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर आदि जिलों में तो अब तक पाठ्यक्रम भी नहीं पहुंचा जिससे बच्चों की पढ़ाई तो शुरू करवाई जा सके। सूत्र बताते हैं कि इस बार सिलेबस बदला है जिस कारण नयी पुस्तकें अभी छप नहीं पायीं। प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को कक्षा एक से आठ तक पढ़ने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत नि:शुल्क पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाती हैं। कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए दी जाने वाली पाठ्य पुस्तकें व वर्क बुक अब तक स्कूलों में नहीं पहुंचाई गईं।
उधर, शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा एक से पांच के विद्यार्थियों के लिए अब मासिक परीक्षाओं की व्यवस्था कर दी गई है जिसके तहत वर्ष में सात मासिक परीक्षाएं तथा सितम्बर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा के अलावा मार्च में वार्षिक परीक्षा का प्रावधान किया गया है। यदि अप्रैल मास में पुस्तकें नहीं पहुंच पाती हैं तो बच्चों को अप्रैल व मई दो माह का सिलेबस एक ही महीने में पूरा करना होगा जिसके लिए मई माह में मासिक परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इस सिलेबस को पूरा कराने के साथ-साथ कक्षा तत्परता कार्यक्रम के तहत भी अनेक गतिविधियों को पूरा करना होता है।
समय पर भेजी जाएं पुस्तकें : शिक्षक संघ
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान राजेश बैनीवाल, रोशन लाल पंवार ने कहा कि सरकार को इस मामले में गम्भीरता से सोचना चाहिए और पुस्तकें समय पर पहुंचना सुनिश्चित करना चाहिए। एक ओर तो सरकार राजकीय विद्यालयों के परीक्षा परिणाम की तुलना निजी विद्यालयों से करती है तो दूसरी ओर सरकारी विद्यालयों में आधारभूत सुविधाएं भी प्रदान नहीं करवा रही है। स्कूलों में अध्यापकों के हजारों पद रिक्त पड़े हैं लेकिन सरकार चयनित अध्यापकों को नियुक्ति देने में भी आनाकानी करती आ रही है।
सिलेबस बदला है, इसलिए आई परेशानी
अधिकारियों का कहना है कि इस बार पहली से पांचवीं कक्षा तक का सिलेबस बदल गया है, इसलिए किताबों की प्रिंटिंग में दिक्कत आ रही है। जब डिप्टी डीईओ शमशेर सिंह सिरोही से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पुस्तकों की सप्लाई का काम तो उच्च अधिकारियों का है। उनका काम तो किताब आने के बाद समय पर स्कूलों में किताबें भिजवाना है। वैसे अबकी बार तो विभाग ही सीधे स्कूलों में किताबें भेजेगा।
कैसे होगा मूल्यांकन
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूलों में छात्रों का सतत एवं व्यापक मूल्याकंन किया जाना आवश्यक है लेकिन अध्यापकों को चिंता सता रही है कि जिन पुस्तकों को विद्यार्थियों ने पढ़ा ही नहीं तो विद्यार्थियों का मूल्यांकन किस प्रकार सम्भव है।                                              dt 

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