** 50 फीसद स्नातकों को रोजगार व स्वरोजगार योग्य बनाने पर जोर
नई दिल्ली : उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने में जुटी सरकार अब इसे
लेकर किसी भी तरह के समझौते के मूड नहीं है। यही वजह है कि सरकार ने
विश्वविद्यालयों के खाली पदों को 2022 तक हर साल भरने की रणनीति तैयार की
है। साथ ही यह भी तय किया है कि इसके बाद विश्वविद्यालयों में एक ही समय
में शिक्षकों के दस फीसद से ज्यादा पद खाली नहीं रहेंगे। सरकार ने यह बड़ी
पहल उस समय की है, जब देश भर के विश्वविद्यालयों में मौजूदा समय में
शिक्षकों के 35 फीसद से ज्यादा पद खाली हैं। 1खासबात यह है कि
विश्वविद्यालयों में यह स्थिति पिछले कई वर्षो से बनी हुई है। सरकार का
मानना है कि विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता को सुधारने में यह सबसे बड़ा
रोड़ा है। यही वजह है कि सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कमर कस ली
है। यूजीसी ने हाल ही में एक बैठक में 2022 को लेकर एक विजन प्लान को अंतिम
रूप दिया है। इसके तहत शिक्षकों के खाली पदों को भरने के साथ इनके ज्ञान
को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से ओरिएंटेशन प्रोग्राम चलाने पर भी जोर दिया
गया है। यूजीसी ने अपने इस विजन में उन्हीं पहलुओं को शामिल किया है,
जिन्हें हासिल करने में सरकार अब तक पिछड़ी हुई है। इसके अलावा यूजीसी ने
एक ऐसी योजना भी शुरू करने के संकेत दिए है, जिससे आने वाले दिनों में
स्नातक करने वाले कम से कम पचास फीसद छात्रों को रोजगार या स्वरोजगार से
जोड़ना शामिल है। इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर कौशल विकास से जुड़े
कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, नवाचार, सामाजिक क्षेत्रों में आगे बढ़ने जैसे
कदम उठाने पर जोर दिया गया है। यूजीसी ने इन सारे उद्देश्यों की पूर्ति के
लिए विश्वविद्यालयों से आवश्यक सुझाव भी मांगे हैं। यूजीसी ने इसके अलावा
जो एक और बड़ी पहल की है, उसके तहत 2022 तक सभी विवि और कॉलेजों को
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की ग्रेडिंग में बेहतर स्तर
पर पहुंचाना है। मौजूदा समय में देश में बड़ी संख्या में ऐसे
विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं, जिनका नैक की ग्रेडिंग में स्कोर 2.5 से कम
है। ऐसे में यूजीसी का जोर ऐसे सभी संस्थानों को 2022 तक बेहतर स्थिति में
खड़ा करना है।
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