जींद : प्रदेश के 62 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जो कहते हैं कि उनके स्कूलों में
शिक्षकाें द्वारा वही भाषा प्रयोग की जाती है, जो घर पर सुनते हंै। यह
खुलासा एनसीईआरटी द्वारा किए नेशनल एचीवमेंट सर्वे में हुआ है। प्रदेश के
तीसरी, 5वीं व 8वीं कक्षा के 62% बच्चों को वही भाषा शिक्षक द्वारा स्कूल
में बोली जाती है, जो उनके परिजन बोलते हैं। ऐसे मेंें बच्चे आधुनिक समय की
मांग के अनुसार समाज में खुद को कैसे खड़ा कर पाएंगे?
प्रदेश के
तीसरी, 5वीं व 8वीं कक्षा के 93% को स्कूल जाना पसंद है। 39% को
ट्रांसपोर्ट की समस्या आती है। एनएएस सर्वे में माता-पिता की स्कूल
गतिविधियों में भागीदारी को भी शामिल किया है। केवल 11% माता-पिता ही पूर्ण
रूप से स्कूल गतिविधियों में शामिल होते हैं। 47% की भागीदारी मीडियम है।
42% भागीदारी नहीं करते हैं। 25 % गेम्स पीरियड में नहीं लेते भाग सर्वे
में सामने आया है कि प्रदेश की तीसरी, पांचवीं व आठवीं कक्षा के लगभग 25.7
प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जो गेम्स पीरियड के दौरान खेलने नहीं जाते। तीसरी
कक्षा के 75 प्रतिशत, पांचवीं के 76 प्रतिशत और आठवीं कक्षा के 72 प्रतिशत
बच्चे ही गेम्स पीरियड के दौरान बाहर खेलने के लिए जाते हैं। |
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