नई दिल्ली : मिड-डे मील योजना की निविदा के लिए दिल्ली सरकार द्वारा लगाई
गई पात्रता शर्तो को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। चार गैर सरकारी
संगठनों (एनजीओ) द्वारा दायर याचिका
पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट व न्यायमूर्ति एके चावला की
पीठ ने इसे मनमाना और अनुचित करार दिया। साथ ही दिल्ली सरकार को आदेश दिया
कि वह एनजीओ की व्यापक भागीदारी की शर्त पर फिर से विचार करे और इसे नए
सिरे से बनाए।
चार एनजीओ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मिड-डे मील योजना
के लिए बोली आमंत्रित करने की शर्तो पर सवाल खड़े किए हैं। इन एनजीओ का
कहना है कि पिछले तीन वषों के दौरान तीन करोड़ रुपये औसत वित्तीय कारोबार
की न्यूनतम पात्रता रखना गलत है। इस शर्त से व्यावसायीकरण को बढ़ावा दिया
जा रहा है। वहीं, दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि शिक्षा निदेशालय द्वारा
जारी प्रस्ताव के तहत प्रत्येक सफल बोली लगाने वाले को 35000 छात्रों के एक
बड़े समूह को भोजन की आपूर्ति करनी है।
संगठन को दिल्ली सरकार से इसके बजट
के लिए चार महीने तक का इंतजार करना पड़ता है। इसी वजह से ऐसी शर्त रखी गई
कि निविदा डालने वाले संगठन की इतनी वित्तीय क्षमता हो कि वह चार महीने तक
खर्च को वहन कर सके।
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