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Friday 19 September 2014

"एलआईएस" से स्टूडेंट्स सीखेंगे पुस्तकों काे सहेजना

योजना : अब सीबीएसई स्कूलों में 11वीं 12वीं से ही बच्चे पढ़ सकेंगे लाइब्रेरी एंड इनफॉर्मेशन सब्जेक्ट 
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) विद्यार्थियों को अब किताबें पढ़ाने के साथ-साथ उनका संरक्षण करना भी सिखाएगा। इसके लिए सीबीएसई ने पूरी योजना भी तैयार कर ली है। योजना के तहत 11वीं 12वीं के विद्यार्थियों को अन्य वैकल्पिक विषयों के साथ लाइब्रेरी एंड इनफॉर्मेशन साइंस (एलआईएस) विषय भी पढ़ाए जाएगा। ध्यान रहे कि इससे पहले भी इसी वर्ष सीबीएसई ने दर्जन भर अन्य वैकल्पिक विषयों की शुरुआात करने के लिए पहले ही नोटिफिकेशन जारी किया था। 
बोर्ड की सोच है कि विद्यार्थियों को किताबी नॉलेज के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज दी जानी बेहद जरूरी हैं। अलबत्ता बोर्ड ने लाइब्रेरी एंड इन्फॉरमेशन साइंस विषय को शुरू करने का निर्णय लिया है। 
यह तय किया शेड्यूल 
लाइब्रेरी एंड इनफॉर्मेशन साइंस विषय का पेपर कुल 100 नंबर का होगा। इसमें 80 नंबर थ्योरी 20 नंबर प्रेक्टिकल के होंगे। 
क्या हैं फायदे 
अगर आप में इनफॉर्मेशन को नेवीगेट और मैनेज करने की खूबी है तो लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस की फील्ड आपके लिए परफेक्ट रहेगी। अभी तक ये कोर्स सिर्फ कॉलेज लाइब्रेरिज तक ही सीमित समझा जाता रहा है। लेकिन अब यह कोर्स करने के बाद कई और तरह के जॉब ऑप्शंस भी मिलने की संभावनाएं बेहद अधिक हो जाती हैं। इनमें इनफॉर्मेशन रिसोर्स स्पेशलिस्ट, रिसर्चर, मेटा-डेटा स्पेशलिस्ट और डॉक्यूमेंट स्पेशलिस्ट जैसे काम शामिल हैं। छुट्टियों में दो से तीन महीने के वोकेशनल सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्सेज के अलावा प्रोफेशनल करियर कोर्सेज भी इस क्षेत्र में हैं। बीलिब के बाद एमलिब और उसके बाद इसमें पीएचडी भी कर सकते हैं। 
क्यों लिया फैसला 
करीब दो सालों से सीबीएसई लाइब्रेरी एंड इनफार्मेशन साइंस विषय पर रिसर्च करवा रहा था। नए विषय के तौर पर इसकी शुरुआत स्कूलों में हो सकती है या नहीं। यदि होगी तो बच्चों पर इसका क्या फर्क पड़ेगा। बोर्ड ने अपनी रिसर्च में इन सभी बातों को समझने की कोशिश की। रिसर्च के परिणाम बेहद सुखद आए। बोर्ड ने पाया कि इस विषय में अच्छा स्कोप है। इसी कारण बोर्ड के अाला अफसरों ने सीनियर सेकेंडरी लेवल पर लाइब्रेरी एंड इनफॉर्मेशन विषय को वैकल्पिक विषय के तौर पर शुरू करने का निर्णय लिया। 
क्या है उद्देश्य 
किताबों के संरक्षण के साथ उनको सहेजने के क्षेत्र में रोजगार की भी अपार संभावनाएं हैं। साथ ही ई-लाइब्रेरी का अपना ही विशेष महत्व है। इन बातों का ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने इस विषय की शुरुआात करने का निर्णय लिया ताकि युवा बेरोजगारी कम हो सके। साथ की शिक्षा के प्रति नकारात्मक रवैये वाली सोच में बदलाव लाया जा सके। बोर्ड का मकसद यह भी है कि पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अतिरिक्त साहित्य से जुड़ी अन्य किताबों के प्रति भी विद्यार्थियों को रुझान बढ़े वह हर क्षेत्र में आगे निकल सकें।                                                      dbambl

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