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Sunday 7 June 2015

अतिथि अध्यापकों की सूची तैयार

** सरकार का इशारा मिलते ही विभाग दिखा देगा घर की राह, विभाग ने विषयानुसार सभी 10 खंडों की सूची बनाई 
भिवानी : जिले में कितने अतिथि अध्यापक हैं। उनमें से कौन सा अध्यापक किस विषय का है और कौन अध्यापक किस श्रेणी का है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने अपनी ओर से लिस्ट तैयार कर ली है। जिले में इन अतिथि अध्यापकों की संख्या 581 है। इसके अलावा विभाग जिले में अतिथि प्राध्यापकों की सूची अलग से तैयार कर रहा है। इन अध्यापकों और प्राध्यापकों के बारे में सरकार और शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों का इशारा मिलते ही उन्हें घर का रास्ता दिखाया जा सकता है। 
प्रदेश में 2005 से कार्यरत अतिथि अध्यापकों के बारे में हाईकोर्ट अपना रूख स्पष्ट कर चुका है। इसमें हाइकोर्ट ने फैसला दिया था कि प्रदेश में कार्यरत इन अतिथि अध्यापकों को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए। मगर अदालत के इस फैसले पर जब सरकार और विभाग ने अमल नहीं किया तो हाइकोर्ट ने इस मामले में सख्त रवैया अपनाते हुए विभाग के डायरेक्टर टीसी गुप्ता को अदालत में तलब किया था। उस समय डायरेक्टर ने अदालत में हल्फनामा देते हुए कहा था कि वे छह जून तक इन अतिथि अध्यापकों को रिलीव कर देंगे। डायरेक्टर के उस हल्फनामे के अनुसार शनिवार से प्रदेश में अतिथि अध्यापकों को उनके घर का रास्ता दिखा दिया जाना चाहिए। विभाग ने जिला स्तर पर बनाई सूची 
डायरेक्टर द्वारा अदालत में दायर उस जवाब को लेकर शिक्षा विभाग उसी दिन अलर्ट हो गया था। इसलिए विभाग ने जिला स्तर पर इन अतिथि अध्यापकों की सूची तैयार करनी शुरू की थी। उसके तहत भिवानी में तैयार सूची के अनुसार इस समय जिले में 32 ड्राइंग, 47 हिंदी, 43 संस्कृत, 69 गणित, 128 साइंस, 182 एसएस और 80 जेबीटी अतिथि अध्यापक हैं। इनकी सूची विभाग ने जिला स्तर पर तैयार कर ली है ताकि विभाग या सरकार की ओर से इशारा मिलते ही इन अध्यापकों को रिलीव कर दिया जाए। इसके अलावा विभाग अतिथि प्राध्यापकों की सूची अलग से तैयार कर रहा है। 
सरकार की पॉलिसी बनी रास्ते का रोड़ा 
प्रदेश में अध्यापकों के प्रमोशन का भी एक नियम बना हुआ है। उसके तहत प्रदेश में प्राध्यापकों के जितने पद खाली हैं उनमें से 33 प्रतिशत अध्यापकों को प्रमोट किया जाना चाहिए। मगर अध्यापकों का यह प्रमोशन 2009 से अटका हुआ है। इसका मुख्य कारण यह है कि निवर्तमान कांग्रेस सरकार ने यह नियम बनाया था कि जो अध्यापक जिस विषय को पढ़ा रहा है वह उसी विषय में एमए पास हो। सरकार उस नई पॉलिसी को लेकर अध्यापक अदालत में चले गए। उनका कहना था कि यह प्रमोशन प्रक्रिया 2009 से चल रही है, लेकिन उस समय यह नियम लागू नहीं था। इसलिए उन्हें प्रमोट किया जाए। इसी अदालती चक्कर में प्रदेश में 7,700 अध्यापकों का प्रमोशन रुका पड़ा है। इसी चक्कर के कारण सरकार जेबीटी अध्यापकों को प्रमोट नहीं कर पा रही। अगर ये दोनों बाधाएं दूर हो जाती हैं तो अतिथि अध्यापकों की राह में निवर्तमान कांग्रेस सरकार में चयनित किए गए 8,900 जेबीटी अध्यापक रोड़ा बन जाएंगे, क्योंकि वे भी सरकार से ज्वाइनिंग मांग रहे हैं। वहीं, विभाग की ओर से सोमवार को कुछ स्थिति स्पष्ट होने की संभावना है। इसका कारण यह है कि विभाग के डायरेक्टर ने अदालत में जो हल्फनामा दिया था उसी मियाद शनिवार को पूरी हो गई। 
ये भी बने हुए हैं अतिथि अध्यापकों के लिए मुश्किल 
हालांकि शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट में यह स्वीकार किया था कि उनके पास प्रदेश में इस समय करीब 4700 अतिथि अध्यापक सरप्लस हैं। इसलिए हाईकोर्ट ने पहले उन अध्यापकों को ही कार्यभार मुक्त करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा इन अतिथि अध्यापकों को सेवामुक्त करने के पीछे दो और मूल कारण हैं। इसमें पहला यह है कि इन अध्यापकों को स्कूलों में लगाते समय किसी तरह की आरक्षण प्रणाली को नहीं अपनाया गया। ये अध्यापक निवर्तमान कांग्रेस सरकार ने बैकडोर से भर्ती किए थे। इसलिए इन अध्यापकों को नियमित करना नियमानुसार गलत है। इसी प्रकार एचटेट पास कर चुके अभ्यर्थी भी सरकार और अदालत से यह मांग कर रहे हैं कि प्रदेश में अतिथि अध्यापकों को हटाकर उनकी जगह उन्हें लगाया जाए। इस बारे में उनका तर्क है कि जब सरकार ने अध्यापक भर्ती के लिए एचटेट क्लियर करने का नियम ही बना लिया तो इन बिना एचटेट पास किए अतिथि अध्यापकों को क्यों रखा हुआ है।                                                       db

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