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Friday 1 April 2016

लड़खड़ाती शिक्षा व्यवस्था को सेवानिवृत्त शिक्षक देंगे सहारा



** 'शिक्षा विभाग ने मांगी प्रदेशभर से रिटायर्ड अध्यापकों की सूची’ खाली पड़े पदों की जगह पर सेवाएं लेने की योजना

फतेहाबाद : सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण लड़खड़ा रही शिक्षा को अब सेवानिवृत्त शिक्षकों का सहारा मिलेगा। एक तीर से दो निशाने साधने जा रहे शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षकों की आवश्यकता को अनुभव के साथ पूरा करने का नायाब फामरूला निकाला है। 
इस कड़ी में विभाग ने सभी जिलों से सेवानिवृत्त शिक्षकों सूची मांग ली है। जाहिर है कि स्कूलों में अध्यापकों की कमी तो दूर होगी ही, विद्यार्थियों को बुजुर्ग शिक्षकों का अनुभव भी प्राप्त हो सकेगा। बता दें कि प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों में हजारों अध्यापकों के पद खाली पड़े हुए हैं। आलम तो यह कि सैकड़ों स्कूल बिना मुखिया के चल रहे हैं। स्वाभाविक तौर पर ही खाली पड़े पदों पर अध्यापकों की भर्ती न होने के कारण सरकारी स्कूलों में परीक्षा परिणाम गिरता जा रहा है। स्कूलों का वही रोना कि टीचर ही नहीं हैं तो क्या करें। बताया जाता है कि जब तक शिक्षकों का स्थाई समाधान नहीं होता, सेवानिवृत्त शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था राहत देगी। ूशिक्षा विभाग के आदेशानुसार जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूल मुखियाओं को आदेश दिये है कि वह अपने - अपने इलाका संबंधित गांव में रिटायर्ड अध्यापकों की सूची बनाकर भेजेंगे। जानकारी में वह रिटायर्ड कर्मचारी के बारे में यह जानकारी प्राप्त करेंगे। वह किसी पद पर कार्यरत था। इसके बाद वह सूची शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास भेजी जाएगी।
"शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों ने अपनी नई सोच के तहत हर जिले से रिटायर्ड अध्यापकों की सूची मांगी है। सूची प्रत्येक गांव से स्कूल मुखिया देंगे। यह नई योजना शिक्षा स्तर को और बेहतर बनाने के लिए तय की गई है। जो काफी सराहनीय है।"-- डॉ. यज्ञदत्त वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी।
शिक्षा स्तर में होगा काफी सुधार
रिटायर्ड कर्मचारियों को अगर स्कूल की खाली पदों पर अनुबंध पर रखा जाता है तो इससे शिक्षा स्तर काफी हद तक सुधर सकता है। इसके अलावा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की परेशानी भी दूर हो जाएगी। शिक्षा विभाग की नई योजना से प्रदेशभर के स्कूलों के हालत भी सुधरेंगे। प्रदेशभर में हजारों अध्यापकों के पदों खाली पड़े, लेकिन नई योजना के तहत रिटायर्ड कर्मचारी स्कूल में आते हैं तो शिक्षा स्तर सुधरना लगभग तय है।
प्रदेशभर में 850 स्कूलों में मुखिया ही नहीं है। इसमें 377 सीनीयर सेकेंडरी में ¨प्रसीपल के पद खाली पड़े हुए है। 475 हाई स्कूलों में हेड मास्टर नहीं है। वहीं प्राइमरी स्कूलों में 2200 प्राइमरी स्कूलों में मिडिल हेड टीचर ही नहीं है। 1800 मिडल स्कूलों में हेड के पद खाली पड़े हुए हैं। वही जेबीटी मामले कोर्ट पूरी तरह अपने फैसले को स्पष्ट नहीं कर पाई है।                                                            dj

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