सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में दिए गए बयान के उलट नियमित भर्ती में देरी करने व गेस्ट टीचर की सेवा जारी रखने के खिलाफ कड़ा रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बार सीधे-सीधे संबंधित अधिकारियों के नाम लेकर आदेशों की अवमानना पर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने 30 मार्च 2012 को पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त सुरीना राजन द्वारा दिए गए 322 दिन के भर्ती शेड्यूल संबंधी शपथ पत्र का शक्ति से पालन करने व तब तक अतिथि अध्यापकों की सेवाएं जारी रखने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया था कि भविष्य में ओर समयसीमा नहीं बढ़ाई जाएगी। आदेशों की पालना न होने व इस संबंध में दायर अवमानना याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अख्तियार किया है। दायर अवमानना याचिका में यह तथ्य भी रखा गया है कि अभी तक टीजीटी पदों पर नियमित अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन ही जारी नहीं किया गया है जबकि टीजीटी पदों पर हजारों अतिथि अध्यापक कार्य कर रहें हैं। सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख व अवमानना नोटिस के मद्देनजर अब सरकार की बजाय संबंधित अधिकारियों पर तलवार लटक गई है। वहीं 322 दिन की समय सीमा पूरी होने के चलते अतिथि अध्यापकों की सेवाएं भी खतरे में पड़ गई हैं।
......DJ
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