हरियाणा सरकार द्वारा विगत दिवस हजारों मास्टरों को लेक्चरर के पदों पर पदोन्नत करने के फैसलेे में सरकार के ही एक सेवा नियम आड़े आ गए हैं। इन सेवा नियमों को लागू करते हुए अगर पदोन्नति दी जाती है तो हजारों शिक्षक पदोन्नति से वंचित ही रहेंगे। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार के साथ शर्त रखी है कि ये पदोन्नतियां पुराने सेवा नियमों के हिसाब से की जाएं, नहीं तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
साथ ही, संघ ने हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा 18 विषयों में प्राध्यापक पदोन्नति के मामले मांगने को अपने आंदोलन की जीत बताया है। साथ ही, नये सेवा नियमों के तहत हजारों अध्यापक पदोन्नति से वंचित हो जाएंगे। उनका कहना है कि ये शिक्षक इन सेवा नियमों के लागू होने अर्थात 12 अप्रैल 2012 से पहले पदोन्नति के योग्य थे ङ्क्षकतु नये सेवा नियमों के बाद इनकी पदोन्नति होना असंभव है। संघ प्रदेशाध्यक्ष वजीर सिंह, महासचिव सीएन भारती, कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, संगठन सचिव बलवीर सिंह, उप-महासचिव सुरजीत सिंह सैनी, प्रचार सचिव महीपाल चमरोड़ी ने कहा कि सरकार व शिक्षा विभाग पदोन्नति से पहले तत्काल सेवा नियमों में संशोधन करें।
उन्होंने यह मांग भी की है कि उसी विषय के अनुभव तथा बीएड की शर्त को वापस ले, कम से कम उन अध्यापकों पर तो यह शर्त लागू नहीं होनी चाहिए जो नए सेवा नियम लागू होने से पहले के सेवा में हैं। संघ नेताओं ने कहा कि विभाग पहले ही मिडल विद्यालय अध्यापक मुख्याध्यापक की पदोन्नति में नए सेवा नियमों के परिणाम भुगत चुका है व बार-बार अंकों की शर्तों में संशोधन करने पड़े और अंत में इसी सिद्धांतको माना की जो अध्यापक 11 अप्रैल, 2012 से पहले सेवा में हैं, उन पर स्नातक डिग्री में अंकों की कोई शर्त नहीं होगी। अब जो 4000 से अधिक अध्यापक पदोन्नत किए हैं, वो केवल वरिष्ठता के आधार पर हुए हैं।
भारती ने कहा कि प्राध्यापक पदोन्नति में नए सेवा नियमों के कारण वंचित अध्यापकों पर दोहरी मार पड़ रही है क्योंकि यदि विभाग ठीक-ठाक समय पर कार्य करता है तो इनकी पदोन्नति 5-6 वर्ष पहले ही हो जानी थी। इनकी पदोन्नति में नए सेवा नियम कोई अड़चन नहीं होने थे। अध्यापक नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि विभाग को 20-21 फरवरी की हड़ताल में शामिल 20 हजार अध्यापकों की भावनाओं को समझना चाहिए और सार्वजनिक शिक्षा के विस्तार व गुणवत्ता के रचनात्मक निर्णय लेने चाहिएं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार व विभाग अब भी विभाग को सिकोडऩे, पदोन्नतियों को रोकने, गैर-वैज्ञानिक रेशनलाइजेशन के नाम पर छंटनी करने, पीपीपी/एनजीओ के नाम पर निजीकरण करने आदि नाकारात्मक कदमों से पीछे नहीं हटता तो संघ को तीखा निर्णायक आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
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