राज्य में बिना मान्यता प्राप्त और बिना किसी स्वीकृति के 8वीं, 10 वीं और 12 वीं के चल रहे स्कूलों की रिपोर्ट तैयार कर उन्हें 31 मार्च से पहले बंद कर दिया जाएगा। राज्य के सभी जिला उपायुक्तों से इस बारे में तत्काल रिपोर्ट देने को कहा है। यह निर्णय शिक्षा के अधिकार के तहत बनाए गए प्रावधानों के आधार पर लिया गया है। खंड स्तर पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इस फैसले से राज्य के करीब 5 हजार के लगभग स्कूलों पर गाज गिरना तय है। शुक्रवार को चंडीगढ़ से आई टीम जिले में कुछ निजी स्कूलों का रिकॉर्ड खंगालती रही।
पहली बार शिक्षा निदेशालय बिना स्वीकृति के चल रहे निजी स्कूलों पर लगाम कसने के लिए जमीनी स्तर पर गंभीर नजर आ रहा है। यह फैसला 2010 में लागू हुए शिक्षा अधिकार कानून(आरटीई) के तहत लिया गया है। सभी स्कूलों को 31 मार्च 2013 तक मोहलत दी गई है कि वे अपनी मान्यता को लेकर सभी आवश्यक मापदंड पूरा कर लें। यह सीमा किसी भी स्कूल के लिए कम नहीं थी। इसके बाद भी स्कूल अपनी मर्जी से चलते हैं तो इनकी सूची तैयार कर 31 मार्च से पहले उन्हें बंद कर दिया जाएगा।
रेवाड़ी के उपायुक्त सीजी रजनीकांथन ने कहा कि जल्द ही नियमों को अनदेखा कर अपने हिसाब से चल रहे स्कूलों की सूची तैयार कर कार्रवाई के लिए शिक्षा निदेशालय के पास भेज दी जाएगी। तकरीबन रिपोर्ट बन चुकी है। रेवाड़ी जिले के कितने स्कूलों पर गाज गिरेगी, अभी बताना मुश्किल है।
आधिकारिक सूत्रों की माने तो बिना मान्यता के 95 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जो प्रचार सीनियर सेकेंडरी स्कूल होने का करते हैं लेकिन मान्यता उनके पास 10 वीं तक भी नहीं है। अधिकांश के पास आठवीं तक की मान्यता है। हर जिले से प्राइमरी से लेकर सीनियर सेकेंडरी तक चल ऐसे स्कूलों की संख्या मोटे तौर पर 200 से 300 बताई जा रही है।
कुछ जिलों में खंड स्तर पर ऐसे निजी स्कूलों की सूची फाइनल हो चुकी है जिन्होंने आरटीई की हिदायतों का पालन नहीं किया है। इन स्कूलों को बंद करने के लिए 18 फरवरी से नोटिस जारी होने शुरू हो जाएंगे। अधिकारियों की माने तो इस दायरे में आने वाले स्कूलों की फाइल को बंद कर दिया जाएगा ताकि उसे कोर्ट में भी चुनौती नहीं मिल सके।
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