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Tuesday 20 January 2015

शिक्षा सत्र बीत गया, प्रिंटिंग प्रेस में रह गईं 20 लाख इवेल्यूशन शीट

** शीट्स छपवाकर भूल गए शिक्षा विभाग के अफसर 
** इनमें दर्ज करना था 1 से 8वीं तक के बच्चों का लर्निंग लेवल 
चंडीगढ़ : हरियाणा नंबरवन के सरकार भले ही कितने दावे करे। शिक्षा का कितना बुरा हाल है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इवेल्यूशन शीट्स उपलब्ध होते हुए भी पहली से आठवीं तक के बच्चों का लर्निंग लेवल असेसमेंट ही नहीं हुआ। हाल ही जारी हुई असर की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में तीसरी क्लास के 22 फीसदी बच्चे ही ऐसे हैं जो पहली कक्षा की किताब पढ़ सकते हैं। बाकी 78 प्रतिशत बच्चे तो यह किताब भी नहीं पढ़ सकते। ये हालात तो तब हैं जब प्रदेश में एक टीचर पर केवल 20 बच्चों को पढ़ाने की ही जिम्मेदारी है। प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में प्राइमरी कक्षा के करीब 20 लाख बच्चे हैं और 1 लाख टीचर हैं। 
सूत्रों के अनुसार पिछली सरकार ने आरटीई एक्ट के तहत जनवरी, 2014 में पहली से आठवीं तक के बच्चों का लर्निंग लेवल असेसमेंट का फैसला किया गया था। इसके तहत जुलाई, 2014 में 20 लाख इवेल्यूशन शीट्स प्रिंट करवाई गईं। हालांकि इनमें से करीब 1.50 - 2 लाख इवेल्यूशन शीट्स जिलों में भी भिजवाई गईं, लेकिन उनका उपयोग ही नहीं हुआ। 
इधर, प्रिंटिंग स्टेशनरी कंट्रोलर बार-बार स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों को लेटर लिखती रहीं, लेकिन उन्होंने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। 
ऐसे करना था टीचरों को इवेल्यूशन

  • प्रत्येक विषय में बच्चे की सुनने, बोलने, पढ़ने, लिखने की क्षमता का मूल्यांकन करना था। 
  • सुनने की क्षमता के तहत यह देखना था कि बच्चे की समझ, सीखने में रुचि, और घटनाओं, विचारों को समझकर क्या निष्कर्ष निकाल सकता है। 
  • बोलने की क्षमता में उसकी सटीक उत्तर देने, सही उच्चारण और सही स्पीड में हाव-भाव तथा लय के साथ कविता-कहानी पढ़ सकता है या नहीं। 
  • पठन कौशल में उसकी समझ, धारा-प्रवाह और उच्चारण को परखा जाना था। 
  • लेखन कौशल में उसके शब्द भंडार, वर्तनी, व्याकरण, सुलेख और सुनकर लिखने का मूल्यांकन किया जाना था। 
  • इवेल्यूशन शीट्स में परिवेश अध्ययन के तहत याददाश्त, पहचान, साहित्यिक, खेलकूद, क्रिएटिविटी, व्यक्तिगत गुण और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी मूल्यांकन किया जाना था। 

ऐसे खुला मामला 
सरकार बदलने के बाद जब नए प्रिंसीपल सेक्रेटरी टी. सी. गुप्ता ने चार्ज संभाला तो उन्होंने बच्चों का लर्निंग लेवल टेस्ट करने के लिए जब इवेल्यूशन शीट का प्रोफार्मा बनाया तो इसका खुलासा हुआ। पता चला कि इवेल्यूशन शीट्स प्रिंटिंग प्रेस में 6 माह से तैयार पड़ी हैं। इतना ही नहीं सीसीई रिपोर्ट कार्ड की भी 20 लाख प्रतियां अक्टूबर से छपी पड़ी थीं। उन्होंने तुरंत इन्हें स्कूलों में भिजवाने और टीचरों के लिए इन्हें भरना लाजिमी कर दिया।
अब आगे क्या
प्रिंसिपल सेक्रेटरी गुप्ता ने बताया कि ये शीट्स प्रत्येक कक्षा के लिए अलग-अलग प्रिंट करवाई गई थीं। इन्हें अगर चालू सत्र में भरा जाता तो बच्चों के लर्निंग लेवल में काफी सुधार सकता था। अच्छी बात यह रही कि इवेल्यूशन शीट्स पर वर्ष अंकित नहीं था, इसलिए ये शीट्स अगले सत्र से काम जाएंगी। विभाग ने पहले मार्च 2019 तक बच्चों का लर्निंग लेवल आउटकम 80 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन अब यह लक्ष्य मार्च, 2018 तक ही पूरा करना है। इसके लिए बच्चों का नियमित रूप से लर्निंग लेवल असेसमेंट करवाया जाएगा।                                    db

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